उर्वरकों की कमी और उनकी कीमतों में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी के चलते भारतीय किसान एक बड़े संकट से जूझ रहे हैं. उर्वरक कृषि के लिए एक जरूरी चीज है, इसकी कमी से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा पर ख़तरा पैदा हो सकता है. हालांकि सरकार ने इनकी कीमतें कम करने के लिए सब्सिडी बढ़ाई है, लेकिन इससे भी मौजूदा समस्या का हल नहीं हुआ। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

सीबीएसई बोर्ड ने टर्म 2 परीक्षा की डेटशीट cbse.gov.in पर जारी कर दी है. लेकिन सीबीएसई टर्म 1 रिजल्ट के संबंध में कोई सूचना जारी नहीं की है. फिर भी इस बारे में मैसेज वायरल हो रहा है कि आज सीबीएसई रिजल्ट घोषित कर सकती है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि महिलाएं पितृसत्तात्मक मानसिकता के अधीन हैं, जो उन्हें प्राथमिक देखभाल करने वाली एवं गृहिणी के रूप में देखती है और इस तरह उन पर पारिवारिक जिम्मेदारियों का एक असमान दायित्व है. शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार को वास्तविक समानता हासिल करने का सही उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले लगातार भेदभाव के पैटर्न को पहचानकर पूरा करना चाहिए.

वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कोविड-19 का हल्का मामला भी आपके मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि औसतन, मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध जो कोविड ​​से बीमार थे, उनके मस्तिष्क के हिस्सों में गंध की भावना से संबंधित ऊतक में कमी के लक्षण दिखाई दिए. कोविड-19 के इतिहास वाले लोगों की तुलना में जटिल मानसिक कार्यों को पूरा करने में उन्हें अधिक परेशानी होती है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

आंदोलनरत आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता और सहायिकाओं ने हरियाणा में अब राज्य में किसानों, छात्रों एवं अन्य महिला संगठनों के साथ मिलकर संयुक्त कार्यक्रमों को आयोजित करने की योजना बनाई है. इस संबंध में एक बैठक इस महीने की शुरुआत में निर्धारित की गई है, जिसमें इस “संघर्ष को और तीज करने के लिए आगे की रणनीति” तय की जायेगी.इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

बिहार की चरमराई शिक्षा व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है. यहां की खस्ताहाल स्कूल की इमारतें, शिक्षकों के खाली पद, क्लास में बच्चों की अनुपस्थितियां, बच्चों को किताबों की कमी बिहार में आम बात है. अक्सर इन सबको लेकर खबर पढ़ने और सुनने को मिल ही जाती है. पिछले दो वर्षों में कोरोना के चलते समय समय पर बंद किए गए स्कूलों के चलते बच्चों के भविष्य को चौपट कर दिया है. जानकारों का कहना है कि 2.75 लाख शिक्षक के पद नीचले स्तर पर खाली हैं और कॉलेज लेवल पर अभी भी करीब 70 प्रतिशत शिक्षक के पद खाली हैं.

पूरा देश कोरोना की मार झेल रहा है. इस बीच सोशल मीडिया पर कई तरह के दावे किये जा रहे है. कोरोना के इलाज से लेकर लॉकडाउन के नियम और यहां तक की सरकार की ओर से चलायी जा रही योजनाओं पर भी कई मैसेज वायरल हो रहे हैं. इन्हीं में से एक मैसेज के ऑनलाइन क्लास के लिए 100 मिलियन यूजर्स को तीन महीने का फ्री रिचार्ज सरकार की ओर से दिया जा रहा है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

प्यू रिसर्च सेंटर की एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि भारतीय लोग राजनीति में महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका निभाते हुए देखने के इच्छुक हैं लेकिन जब बात घर या रोजगार में नेतृत्व की आती है तो लैंगिक भेदभाव साफ दिखाई देता है. इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘हाउ इंडियंस व्यू जेंडर रोल्स इन फैमिलीज एंड सोसाइटी’ है. इस रिपोर्ट को नवंबर 2019 और मार्च 2020 के बीच 29,999 भारतीय वयस्कों पर किए गए सर्वेक्षण के बाद प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा तैयार किया गया है.

दिल्ली में स्थित केंद्र सरकार के चार अस्पतालों में साढ़े छह साल में औसतन करीब 70 बच्चों की हर महीने मौत हुई है.सबसे ज्यादा बदतर हाल सफदरजंग अस्पताल का है, जहां 81 महीनों के दौरान हर माह तकरीबन 50 नवजातों की जिंदगी चली गई. एक आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ है.आरटीआई आवेदन में जनवरी 2015 से जुलाई 2021के बीच इन अस्पतालों में जन्म के बाद जान गंवाने वाले नवजातों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी गई थी.

प्रदेश भर से आशा कार्यकर्ताओं को ₹10000 महीने और आशा सहयोगिनी को ₹15000 वेतन देने की मांग को लेकर विधानसभा का घेराव करने का आव्हान किया था लेकिन पुलिस ने इन्हें प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी और सुबह से ही यूनियन के नेताओं की गिरफ़्तारी शुरू कर दी. जिसको लेकर विपक्षी दल और यूनियन बीजेपी सरकार पर हमलावर है. इन सबके बाद भी प्रदेश से सैकड़ों आशा-ऊषा कार्यकर्ता भोपाल में जुटीं.