देश में मॉनसून 2022 ने दस्तक दे दी है। अब तक मॉनसून को सामान्य माना जा रहा है, लेकिन मॉनसून पूर्व बारिश बेहद असामान्य रही है। 1 मार्च से 17 जून तक के आंकड़े बताते हैं कि देश में वैसे तो सामान्य से केवल 7 प्रतिशत बारिश कम हुई है, लेकिन बारिश का वितरण बेहद असामान्य ढंग से हुआ है। देश के 88 जिलों में बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई है,जबकि 242 जिलों में भारी कम और 124 जिलों कम बारिश हुई है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

सोशल मीडिया पर वायरल एक मैसेज में दावा किया जा रहा है इंडिया के लिए अच्छी खबर है। प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की है कि यदि आपके घर पर कोई समारोह/पार्टी है और जब आप देखते हैं कि बहुत सारा खाना बर्बाद हो सकता है, तो कृपया 1098 (केवल भारत में कहीं भी) – चाइल्ड हेल्पलाइन पर कॉल करने में संकोच न करें।विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।

वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा सुनाए गए खंडित फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं में कानून में मौजूद उस अपवाद को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत पत्नियों के साथ बिना सहमति के शारीरिक संबंध बनाने के लिए पतियों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

थोक कीमतों पर आधारित महंगाई दर अप्रैल में बढ़कर 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई. यह तेजी खाद्य वस्तुओं से लेकर जिंसों तक के महंगा होने की वजह से हुई. थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 14.55 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल में 10.74 फीसदी थी. अप्रैल 2021 से यह लगातार 13वें महीने दहाई के अंक में बनी हुई है. आंकड़ों से पता चलता है, बीते मार्च महीने के दौरान थोक मूल्य सूचकांक में 14.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जबकि फरवरी के लिए इसे 13.43 प्रतिशत से संशोधित कर 13.11 प्रतिशत किया गया था.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश में करीब 10 लाख मनरेगा श्रमिकों का पिछले तीन चार महीने से भुगतान अटका पड़ा है। वहीं, निर्माण सामग्री के 1800 करोड़ रुपये बकाया होने से ग्राम पंचायतों के स्थायी निर्माण कार्य भी ठप हो गए हैं। ऐसे समय में जब महंगाई चरम पर है लोग बेरोजगार हो रहे हैं इन श्रमिकों को मजदूरी न मिलने से वे परेशान हैं। रिपोर्ट के मुताबिक मनरेगा में अभी 17 लाख 9 हजार से अधिक श्रमिक नियोजित हैं। इन्हें 213 रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिलती है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

शिक्षा मंत्रालय ने आम जनता को आगाह किया है कि वह फर्जी वेबसाइटों से सतर्क रहें. ऐसी कई भ्रामक वेबसाइट बाजार में हैं जो नौकरी के नाम पर आवेदकों को ठगने की कोशिश कर रही हैं. इन्हें सरकारी वेबसाइट से मिलता जुलता बनाया गया है. पीआईबी फैक्ट चेक ने इस तरह की वेबसाइट के प्रति आगाह किया है.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

बच्चों में एनीमिया गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि यह मानसिक विकास को बाधित करता है। इसके साथ ही शारीरिक विकास को प्रभावित करता है और संक्रामक रोगों से लड़ने की क्षमता को कम करता है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 2015-16 में किए गए पिछले सर्वेक्षण में 58.6 फीसदी की तुलना में इस बार 67.1 प्रतिशत बच्चों में एनीमिया है। ये आंकड़े एनीमिया मुक्त भारत के अभियान के लिए भी एक झटका जैसा है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

21वीं सदी की शुरुआत से ही पूरी दुनिया में सूखे का पड़ना और उसके टिके रहने का समय बढ़ता जा रहा है।मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन के चल रहे देशों के सम्मेलन में ‘ड्राउट इन नंबर्स 2022’ नाम की रिपोर्ट जारी की गई। पिछले 122 सालों में 196 देशों में लोगों के जीवन और उनकी आजीविका पर सूखे के असर का आकलन यह कहता है कि एक पूरी पीढ़ी पानी की कमी को देखते हुए बड़ी हो रही है। इस आकलन में भारत को ऐसे देशों में रखा गया है, जो सूखे का भयंकर रूप से शिकार हैं।

सिर्फ आप के खाने की चीजों पर ही महंगाई की मार नहीं पड़ी है। पशुओं के चारे पर भी संकट है, भूसा पिछले साल दो से तीन गुना रेट पर बिक रहा है। पिछले साल जो भूसा 400-600 रुपए क्विंटल था, वो इस बार सीजन में ही 1100-1700 रुपए के बीच बिक रहा है। राजस्थान के बीकानेर में गेहूं का भूसा 2000 रुपए कुंटल तक पहुंच गया है। दुनिया के सबसे ज्यादा किसानों और पशुओं वाले देश भारत में कुल पशुओं की संख्या 53.58 करोड़ है। साल 2019 में आई 20वीं पशुगणना के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा संख्या गोवंश और फिर भैंसों की है।

सरकारी नौकरी के नाम पर फेक खबर आए दिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देखी जा सकती हैं. स्कैमर्स इतने चालाक हो गए हैं, जिससे यह पता करना मुश्किल हो जाता है कि नौकरी की पेशकश असली है या नकली. ऐसी ही एक फेक जॉब अलर्ट वेबसाइट का खुलासा प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने किया है.