कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर का असर गांवों में भी होने और इसकी रोकथाम के लिये कई राज्यों में लगाए गए ‘लॉकडाउन’ के बावजूद ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून मनरेगा के तहत कार्य की मांग बढ़ रही है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, ग्रामीण विकास मंत्रालय के जारी आंकड़े से यह जानकारी मिली। इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

देश में जारी कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने अपने सब्सक्राइबर्स को दूसरी बार भी नॉन-रिफंडेबल कोविड एडवांस निकालने की अनुमति दे दी है. सरकार ने पिछले साल मार्च में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत ईपीएफ सब्सक्राइबर्स को एडवांस लेने की सुविधा दी थी.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

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कोविड19 के दौर में जब सरकार महामारी से निपटने के लिए बेहतर पोषण स्तर बनाए रखने का संदेश दे रही है, लेकिन इस बेहतर पोषण के लिए सब्जी को किसानों के खेत से लोगों की थाली तक पहुंचाने का सिस्टम गायब है. मध्यप्रदेश में सरकार ने सब्जियों को दूर—दूर तक पहुंचाने के लिए किसान रेल चलाई है। इसमें वातानुकूलित डिब्बों में सब्जियां भरकर देश में कहीं भी सब्जियां बेचकर फायदा कमाने का विकल्प दिया है, लेकिन इससे छोटे किसानों को कोई फायदा नहीं है, क्यों​कि इसके लिए बड़ी मात्रा में सब्जियां चाहिए होती हैं.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

कोविड महामारी में ऐेसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने अपना रोजगार खो दिया. लॉकडाउन के कारण उनके पास काम करने के मौके भी कम हो गए हैं. ऐसे में आर्थिक स्थितियां कमजोर हो रही हैं. जिसका फायदा ठग उठा रहे हैं इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

देश में कुप्रबंधन और कमी के बीच रोजाना होने वाला टीकाकरण 23 मई को घटकर प्रति दस लाख की आबादी पर 980 रह गया था, जबकि एक हफ्ते पहले प्रति दस लाख की आबादी पर यह 1,455 था. वहीं विश्व स्तर पर दस लाख की आबादी पर यह औसतन 3,564 है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

जब दूसरी बार कोरोना संक्रमण का ग्राफ अपने चरम पर पहुंच रहा था तब से अब तक बिहार की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था में चिकित्सकों की तंग संख्या मरीजों को मुश्किल से सम्हाल पा रही है. 2011 की जनगणना के आधार पर 10.28 करोड़ की आबादी वाले बिहार में अभी कुल सरकारी चिकित्सकों की मौजूदगी और आबादी के अनुपात की बीच की खाई काफी बड़ी है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ताओं की ‘खराब कामकाजी परिस्थितियों’ के आरोपों पर केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया है. एनएचआरसी ने कहा कि यह देखा गया है कि ‘खराब कामकाजी परिस्थितियों’ के आरोप, यदि सही हैं, तो बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि भारत भर में विशाल ग्रामीण आबादी की संपूर्ण स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली इन आशा कार्यकर्ताओं पर निर्भर करती है।विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर में मरीजों के शरीर में अधिकतर ऑक्सीजन की कमी पाई जा रही है. अभी भी देशभर के कई अस्पतालों में ऑक्‍सीजन की कमी चल रही है.ऐसे में लोग शरीर में ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए घरों में तरह-तरह के नुस्खे आजमा रहे हैं. वहीं, शरीर में ऑक्सीजन लेवल बढाने के लिए कई उपाय और नुस्खे सोशल मीडिया पर भी शेयर किए जा रहे हैं। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

टीकाकरण को लेकर समूचे ग्रामीण क्षेत्रों में काफी भ्रामक सूचनाएं फैल रही हैं. उत्तर प्रदेश के एक हिंदी दैनिक में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, बाराबंकी के सिसौदा गांव के 200 से अधिक लोग उस वक्त नदी में कूद गए जब स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम टीकाकरण अभियान के लिए गांव में पहुंची। इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।