कोरोना और लॉकडाउन का सबसे अधिक असर मजदूर वर्ग पर पड़ा है. अब रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे हजारों बच्चे बालमजदूरी के दलदल में फंस चुके हैं. कोरोना काल में बड़ी तादाद में बच्चों ने अपने मां या बाप में से किसी एक या दोनों को ही खो दिया है. जिसके चलते उनपर घर चलाने की जिम्मेदारी आ गई है. वहीं कोरोना वायरस की वजह से बंद पड़े स्कूलों की वजह से रोजगार के लिए बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे हैं.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ छह महीने से भी अधिक समय से चल रहे आंदोलनों के बीच केंद्र ने साल 2021-22 की खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की है. भाजपा और केंद्र सरकार इस मौके को किसानों के प्रति अपनी छवि सुधारने के रूप में इस्तेमाल कर रही है, जहां केंद्रीय मंत्रियों से लेकर भाजपा के नेता एवं कार्यकर्ता तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘किसान हितैषी’ बताने की होड़ में लगे हुए हैं.विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

कोरोना रोगियों में ब्लैक फंगस के बाद एक और बड़ा खतरा लांग कोविड का बढ़ रहा है। ब्रिटेन में हुए ताजा अध्ययन बताते हैं कि कोरोना से संक्रमित करीब दस फीसदी लोगों को लंबे समय तक समस्या रह सकती है। लांग कोविड का मतलब यह है कि कोरोना संक्रमण खत्म होने के बाद भी लंबे समय तक कोरोना का दुष्प्रभाव जारी रहना।नेचर जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में ब्रिटेन के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैस्टिक्स (ओएनएस) ने 20 हजार संक्रमितों पर अध्ययन में पाया कि 13.7 फीसदी लोगों में तीन महीने के बाद भी लांग कोविड के लक्षण पाए गए।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

देशभर में कोविड-19 की दूसरी लहर का प्रकोप दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, भारत में रविवार (13 जून) को 80,834 नए कोरोना के केस दर्ज हुए जबकि 3,303 लोगों की मौत हुई। इधर, कोरोना के मामलों में आई कमी को देखते हुए कई राज्यों ने संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए सख्त प्रतिबंधों में अब ढील देना शुरू कर दिया है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

देश में कोरोना वायरस के प्रकोप दौरान देश में कई लोगों को संक्रमण का सामना करना पड़ा है. इस बीच सोशल मीडिया में इस महामारी से बचाव के घरेलू उपाय उपायों की एक लंबी लिस्ट भी जमकर शेयर होने लगी। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

केंद्र और आंदोलनकारी किसानों की वार्ता जनवरी से ही रुकी होने के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बीते बुधवार को कहा कि सरकार किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए तैयार है, लेकिन किसान संगठन तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले कानून की अपनी मांगों पर अड़े रहे। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

विश्व बैंक द्वारा वैश्विक अर्थव्यवस्था में होने वाले विकास को लेकर जारी रिपोर्ट ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स से पता चला है कि 2021-22 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में होने वाले विकास की दर करीब 8.3 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं 2020 में यह दर -7.3 फीसदी थी। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले मेघालय ने मनरेगा मजदूरी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की है. आंकड़ों पर नजर डालें, तो 2020 से 2021 के बीच मनरेगा में मिलने वाली मजदूरी यहां, 203 रुपए थी, जिसमें साल 2021 से 2022 में 23 रुपए का इजाफा कर इसे 226 रुपए कर दिया गया है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

देश में कोरोना संक्रमण का संकट अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. इस बीच सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार भी गरम हो गया है. सोशल मीडिया पर अब जानलेवा महामारी को लेकर नया दावा सामने आया है. कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस एक सीजनल वायरस है, इससे बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और आइसोलेशन की जरूरत नहीं है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

कोविड-19 एक ऐसी महामारी जिसने करीब-करीब दुनिया के हर इंसान को प्रभावित किया है. ऐसा ही कुछ बिजली के मामले में भी हुआ है, जोकि आज हर व्यक्ति की जरुरत बन चुकी है. अनुमान है कि इस महामारी के चलते 2020 में करीब 3 करोड़ लोग अपना बिजली का बिल भर पाने में असमर्थ रहे थे। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।