बिहार राज्य के नालंदा ज़िला के नगरनौसा प्रखंड से शम्भू ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि चलो चलें कार्यक्रम में जो इलाहाबाद की बाते बताई ,वो अच्छी लगी। सरकार को क्षेत्र का नाम नहीं बदलना चाहिए। इतिहास को बदलना गलत है।

बिहार राज्य के नालंदा जिले से शम्भू शरण प्रसाद मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं की बिहार के नालंदा में कई जगह ऐसे हैं जो घूमने लायक हैं ,अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुने

सिविल लाइंस, जो बनाया तो अंग्रेजों के लिए गया था लेकिन वह तो रहे नहीं सो अब हमारे काम आ रहा है। बेहद खूबसूरत, जगमगाती इमारतें, चौड़ी सड़कें, फर्राटा भरती गांडियां और सबकुछ इतना करीने से की घूमने के लिए अद्भुत जगह, मेरा खुद से देखा हुआ अब तक का सबसे शानदार दिलकश, बगल में कॉफी की महक उड़ाता इंडियन कॉफी हाउस। और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

बिहार राज्य के नालंदा जिले से शम्भू शरण प्रसाद मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं की मोबाइल वाणी पर चल रहे कार्यक्रम चलो चलें कार्यक्रम अच्छा लगता है इलाहाबाद घृणा अच्छा लगता है बिहार का नालंदा जिला भी घूमने की अच्छी जगह है अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें

मेरा राम राम गुल सुबह मरक्तार शंभू स्वर्ण प्रसाद ग्राम शावपुर पुरसुरा थाना जिला रांडा मोबाइल वानी के सहायकों से बात कर रहा है अब घुमक्कली में हमने प्रयागराज सुना जो पुराना इलाहाबाद है और अभी भी राज है । राजीव जी की डायरी में इलाहाबाद का बहुत उल्लेख किया गया है क्योंकि पहला प्यार पहला प्यार होता है , बाद में प्यार बाद में प्यार होता है । हर बार जब मैं उन्हें कहीं जीवित लाता हूं , उनका उदाहरण , यहां इलाहाबाद में भी , उन्होंने बहुत सारी चाय की दुकानें , चाय और सिगरेट का मिश्रण देखा , और यह उनकी रायता है । मैं उन्हें इस तरह से भोजन देता हूं कि ऐसा लगता है कि हम वहां जीवित पहुंच गए हैं , इसलिए बहुत अच्छा लगता है जिसके बाद वे हमें खुशहाल जीवन का रहस्य बताते हैं । आराम के बारे में यह भी कहा जाता है कि अगर दोपहर का भोजन है तो खाने के बाद सोना बहुत जरूरी है और शाम को खाने के बाद थोड़ी सैर करना बहुत जरूरी है ।

किसी भी शहर की वैसे तो कई पहचानें हो सकती हैं, आप की पहचान क्या है यह आपको खुद ढूंढना पड़ेगा, हां यह शहर आपकी मदद कर देगा बिना यह जाने के आप कौन है, कहां से आए हैं, और किसलिए आए हैं। यह इलाहाबाद में ही संभव है कि यह राजनीति की पाठशाला भी बनता है, तो धर्म का संगम भी इसी के हिस्से है, धर्म और अधर्म के बीच झूलती राजनीति को सहारा और रास्ता दिखाने वाली तालीम और साहित्य भी इसी शहर की पहचान हैं। इस सब के बावजूद कोई अगर प्रेम न कर पाए तो फिर उसके मानव होने पर भी संदेह होने लगता है।

इंदौर मप्र के मालवा में बसा हुआ है और मालवा माटी को लेकर कहावत है कि मालव माटी गहन गंभीर, पग पग रोटी डग डग नीर... सैकड़ों बरस पहले कही गई यह बात आज भी उतनी ही सच्ची लगती है। इंदौर की सूरत और सीरत आज भी इस कहावत पर कायम है। आप पूछेंगे कैसे तो वो ऐसे कि यहां आने वाला कोई आदमी शायद ही कभी भूखे लौटता होगा।

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नर्मदा के किनारों पर अलग-अलग राजवंशों की न जाने कितनी कहानियां लिखी हुई हैं। हालांकि राजवंशों से ज्यादा सभ्यता की कहानियां ज्यादा मुक्कमल दिखाई देती हैं। नर्मदा और उसकी महत्ता को बेहतर समझना हो तो हर साल होने वाली नर्मदा परिक्रमा को देख आना चाहिए। कहने को तो यह परिक्रमा धार्मिक है लेकिन उससे ज्यादा यह सामाजिक है, और प्रकृति के साथ मानव के सहअस्तिव का ज्ञान कराती है।

अगर कोई चतरा आये और झारखण्ड के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल इटखोरी के बारे में बात न करें , ऐसा तो हो ही नहीं सकता। तो हम भी यहाँ के दर्शन और इतिहास को खँगालने यहाँ आ पहुँचे। गौरवपूर्ण अतीत को संभाल कर रखने वाले इटखोरी के भद्रकाली में तीन धर्मों का समागम है। हिंदू, बौद्ध एवं जैन धर्म के लिए यह पावन भूमि है। ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को सुने ...