दिल्ली के संत नगर से राजेश कुमार पाठक मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की एक महिला एक बार में चार कार्यों को संभालती है, जब उसे माहौल मिलता है, तो वह काम में कोई फर्क नहीं डालती है, इसलिए पुरुषों को अपना मन बदलना होगा। अगर कोई लड़की ऑफिस में काम कर रही है उसे अपना काम करने दे , न की अपना काम भी सौप दे। देश में कानून का पालन अगर सही तरीके से हो तो निश्चित ही महिलायें आगे आएँगी
दिल्ली के संत नगर से राजेश कुमार पाठक मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की पहले के समय में ऐसा नहीं होता था , लोग महिलाओं के चरित्र पर ऊँगली नहीं उठाते थे। लेकिन आज के समय में महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है। ऐसे में महिलाओं का आगे बढ़ पाना बहुत मुश्किल है
सरकार द्वारा लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित करने और गांवों में पीएम आवास योजना के तहत 70 प्रतिशत से ज्यादा मकान महिलाओं को देने से देश में महिलाओं की गरिमा बढ़ी तो है। हालांकि, इन सबके बावजूद कुछ ऐसे कारण हैं जो महिलाओं को जॉब मार्केट में आने से रोक रहे हैं। भारत में महिलाओं के लिए काम करना मुश्किल समझा जाता है. महिलाएं अगर जॉब मार्केट में नहीं हैं, तो उसकी कई सारी वजहें हैं, जिनमें वर्कप्लेस पर काम के लिए अच्छा माहौल न मिल पाना भी शामिल है . दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- नौकरी की तलाश में महिलाओं को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। *----- आपके अनुसार महिलाओं के नौकरी से दूर होने के प्रमुख कारण क्या हैं? *----- महिलाओं को नौकरी में बने रहने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
उत्तर प्रदेश राज्य से उपेंद्र कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से देवनारायण सिंह जी से बात किया उन्होंने बताया की महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार मिलने चाहिए, वे जहां भी हों, उन्हें 50 प्रतिशत अधिकार मिलने चाहिए।लेकिन जो पहले से नियम था कि शादी के बाद महिला अपने ससुराल जाती है, तो उसे यह अधिकार वहीं मिलना चाहिए न कि अपने मायके में, सरकार को भी इस पर ध्यान देना चाहिए। इससे परिवार के बाच दरार आ रही है और लड़ाई भी हो रही है
उत्तर प्रदेश राज्य के गाज़ीपुर जिला से राजेश कुमार पाठक ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि मोबाइल वाणी ऐसे तथ्यों को उजागर कर रही हैं जो सामन्यतः पढ़ने और सुनने को नही मिलता है। "राजीव की डायरी" कार्यक्रम के पीछे कड़ी मेहनत है। इसके लिए ये राजीव जी की सराहना करते हैं। राजीव जी को समाज के सभी तबके की चिंता है। वो दिन दूर नही जब मोबाइल वाणी का सकारात्मक प्रयास सफल होगा और उद्देश्यों की पूर्ति होगी
उत्तर प्रदेश राज्य के ग़ाज़ीपुर जिला से राजेश कुमार पाठक ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत सावित्री, अनुसूया, दुर्गा, लक्ष्मी, पार्वती जैसी वीरांगनाओं का देश है। दुर्भाग्यवश वर्तमान समय में इस देश में तीन साल की बच्ची भी सुरक्षित नहीं है।"बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ" जैसे नारे लग रहे हैं, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं है। हम भाग्यशाली हैं क्योंकि हम सुरक्षित हैं। हमारे देश का हर बच्चा कन्हैया हैऔर हर बेटी हमारी राधा है। बेटियों को डरने की जरूरत नहीं है,बल्कि समाज में घूमते महिषासुरों को दुर्गा बन कर नष्ट करना है।
भारत में महिला श्रम शक्ति भागीदारी में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, हालांकि वैश्विक औसत की तुलना में यह कम आधार पर है। ।स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत में महिला कार्यबल की संरचना विकसित हो रही है, जिसमें उच्च शिक्षा प्राप्त युवा महिलाओं की संख्या बढ़ रही है जो श्रम बाजार में शामिल हो रही हैं। भारत में दुनिया की सबसे बड़ी कामकाजी आयु वाली आबादी होने का अनुमान है, जो 2030 तक लगभग 70% तक पहुंच जाएगी, लेकिन कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी का वर्तमान निम्न स्तर लगातार असहनीय होता जा रहा है।तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- महिलाएं किन प्रकार के कार्यों में अधिकतर अपना ज्यादा समय लगाती है ? *----- महिलाओं को उच्च पदों पर पहुंचने में क्या क्या चुनौतियां आती हैं? *----- आपके अनुसार महिलाओं को कार्यस्थल पर किन प्रकार के भेदभाव का सामना करना पड़ता है? और महिलाओं को उद्यमिता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत हैं? *----- क्या आपको भी लगता है कि समाज को इस दिशा में सोच बदलने की ज़रूरत है .?
उत्तरप्रदेश राज्य के ग़ाज़ीपुर जिला से हमारे श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं और लड़कियों के लापता होने में सरकारी संगठन है या गैर-संगठन की जिम्मेदारियां बनती हैं, सरकार को इसके बारे में सोचना चाहिए, लेकिन सरकार सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने के लिए, राजनीति बचाने के लिए इन चीजों पर ध्यान नहीं देती है। भेद भाव के चक्कर में अपना देश बचाने के चक्कर में रहती हैं उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है।
तमाम दावों के बाद भी सच्चाई यही है कि आज भी देश में महिलाएँ और लड़कियां गायब हो रही है और हमने एक चुप्पी साध राखी है। दोस्तों, महिलाओं और किशोरियों का गायब होना एक गंभीर समस्या है जो सामाजिक मानदंडों से जुड़ी है। इसलिए इसे सिर्फ़ कानूनी उपायों, सरकारी कार्यक्रमों या पहलों के ज़रिए संबोधित नहीं किया जा सकता। हमें रोजगार, आजीविका की संभावनाओं की कमी, लैंगिक भेदभाव , जैसे गंभीर चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इसकी रोकथाम के लिए सोचना होगा। साथ ही हमें लड़कियों को शिक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने की भी आवश्यकता है। तो दोस्तों, हर समस्या का समाधान होता है आप हमें बताइए कि *----- लड़कियों को मानसिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? *----- आप इस मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं? साथ ही आप सरकार से इस मुद्दे पर क्या अपेक्षाएं रखते हैं? *----- आपके अनुसार लड़कियों और महिलाओं को लापता होने से बचाने के लिए क्या किया जा सकता है?
उत्तरप्रदेश राज्य के ग़ाज़ीपुर जिला से राजेश कुमार पटक ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि हमें धीरे-धीरे दैनिक जीवन में अपने आचरण को बदलना होगा।बड़ी कठिनाई से, माँ का नाम हमारे कागज़ो में लिखा जाने लगा है, अन्यथा माँ का पता नहीं था। बदलाव होगा और निश्चित रूप से एक पुरुष और महिला की एक ही जाति की वंशावली होगी।