एड्स इस नाम से हम सभी भली भांति परिचित हैं इसका पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम ' यह एक तरह का वायरस है जिसे एचआईवी के नाम से भी जाना जाता है।यह एक जानलेवा बीमारी है लेकिन आज भी लोगों में एड्स को लेकर सतर्कता नहीं है।साथ ही इसे समाज में भेदभाव की भावना से देखा जाता है। एड्स के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। दोस्तों , हम सभी को एड्स को लेकर सतर्क रहना है ,साथ ही लोगों में सर्तकता लाने की भी ज़रुरत है।साथियों, एड्स का उपचार भेदभाव नहीं बल्कि प्यार है। आइये हम सभी मिलकर विश्व एड्स दिवस मनाए और लोगों में एड्स के प्रति अलख जगाए। सतर्क रहें,सुरक्षित रहें

शर्म को ज़रा किनारे करके अपने बच्चों को AIDS के बारे में विस्तार से बताएं ताकि वो इस खतरनाक बीमारी से सुरक्षित रहे। साथियो अगर आप भी एड्स से जुडी कोई जानकारी हमसे साझा करना चाहते हैं तो फ़ोन में अभी दबाएं नंबर 3 का बटन और रिकॉर्ड करें अपनी बात।

दुल्लहपुर गाजीपुर।आज आर. एस हॉस्पिटल एंड आर.एस पैरामेडिकल नर्सिंग कॉलेज देवा दुल्लहपुर  के द्वारा विश्व एड्स जागरूकता दिवस मनाया गया। विश्व एड्स दिवस पूरी दुनिया में हर साल 1 दिसंबर को लोगों को एड्स (एक्वायर्ड इम्युनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम) के बारे में जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। हमारे हॉस्पिटल एंड पैरामेडिकल नर्सिंग कॉलेज के छात्र-छात्राओं व शिक्षक ,हॉस्पिटल के स्टाफो के द्वारा हॉस्पिटल के डायरेक्टर राजेश पांडेय के देख रेख में जागरूकता रैली द्वारा दुल्लहपुर बाजार होते हुए रेलवे स्टेशन पर छात्र-छात्राओं द्वारा नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया।

: जनपद के बाराचवर विकास खण्ड अन्तर्गत पिहुली गांव निवासी डा०अनिल कुमार एमडी साइकेट्री परामर्श दाता माइंड एवं ब्रेन क्लिनिक लखनऊ भूतपूर्वसीनियर रेजिडेन्ट केजीएमउ लखनऊ ने विश्व एड्स दिवस पर निर्भीक भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि एड्स एक खतरनाक बिमारी है जो एच आई बी नामक वायरस से फैलती है। यह वायरस मुख्यतः सक्रमित ब्यक्ति से असुरछित यौन संबंध बनाने से होती है तथा सक्रमित खून चढ़ाने से सक्रमित खून के इस्तेमाल से तथा सक्रमित मां से गर्भावस्था से जन्म के दौरान दूध पिलाने के दौरान फैलता है।दूसरी तरफ यह एक दूसरे को छुने से तथा साथ में खाना-खाने से कपड़ो के आदान प्रदान से गले लगाने से छीकने-खांसने से तथा मच्छर के काटने से नहीं फैलता है। एचआईबी एड्स और मानसिक बिमारियो का गहरा सम्बन्ध है। कुछ मानसिक बिमारियो जैसे अवसाद, उन्माद तथा नसा विकार मे व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित हो जाती है व्यक्ति आवेश में कार्य करने लगता है तथा वह खतरनाक व्यवहारों जैसे असुरक्षित यौन संबंध बनाना, सक्रमित सुई का इस्तेमाल करने मे लिप्त हो जाता है। वही दूसरी ओर एचआईबी संक्रमित व्यक्ति से विभिन्न स्नायु तंत्र विकार तथा मानसिक रोग जन्म ले ले सकते है। इसमे प्रमुख है यादाश्त की कमी, शरीर का असमान्य रूप से हिलना,भ्रम की स्थिति(डिलिरियम), चिन्ता रोग,आबसेसिन कंमंल्सिव डिसऑर्डर एण्ड जस्टमेन्ट डिसऑर्डर, अवसाद (डिप्रेशन), मनोविकृत (साईकोशिश) तथा आत्म हत्या जैसी विकृति इन स्नायु तंत्र विकारों तथा मानसिक रोगो के मुख्य कारण है। वायरस का तंत्रिका कोशिकाओ नष्ट करना, लाईलाज बिमारी से सक्रमित होने का तनाव,ऐसे लोगो का सामाजिक बहिष्कार तथा उनसे अपेक्षा पूर्ण व्यवहार और मरने का डर रहता है। उन्होने आगे कहा कि मानसिक रोगो का लक्षण दिखने पर सक्रमित व्यक्ति को मनोचिकित्सक के पास जाना चाहिए जिससे उसका समुचित ईलाज हो सके। आगे उनसे पूछने पर कि जब ग्रामीण क्षेत्रो से बच्चे डाक्टरी की पढाई करते है तो अपनी सेवा शहरो मे देते है आप की क्या सोच है? ऐसा कुछ नही है हम ग्रामीण परिवेश को भली-भाति समझते है एक छोटे से गांव मे पैदा हुए है गांव और ईलाके के हर मरीज शहरो मे जाकर अपना ईलाज नही करा पाते है तो मेरी जिस दिन डाक्टरी की डिग्री फाईनल हुई उसी दिन मैने ठान लिया कि मैं अपने गांव पिहुली मे एक दिन समय जरूर दूंगा। पन्द्रह दिन पर सो सेवा भाव से करता हूं। शनिवार के दिन मै पूरा समय अपने गांव पिहूली मे बैठता हूं तथा गांव सहित ईलाके के मरीजो का ईलाज करता हूं तथा एक दिन बलिया जिला मुख्यालय पर महिला हास्पीटल के पास रविवार के दिन बैठता हूं। मै अपना मोबाईल नंबर हमेशा मरीजो की सेवा मे बंद नही करता हूं। मरीज मेरे न० 9935260387 पर भी बात कर अपने रोग के समाधान के बारे मे बात कर सकते है।

विश्व एड्स दिवस

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