पुराणी दिल्ली के संत नगर भगत कॉलोनी से राजेश कुमार पाठक मोबाइल वाणी के माध्यम से बारे रहे है कि बाबा का न ही कुछ बिगड़ा है और न ही कुछ बिगड़ने वाला है। बाबा कोई गरीब तो है नहीं ,मारा जाता है गरीब। जिनको मरना था वो तो मर चुके पर बाबाओ को कोई फर्क नहीं पड़ता है, वो दिन दोगुनी रात चौगुनी अपनी तरक्की करते है। ऐसे बाबा जेल भी जाते हैं, उन जेलों में भी उनका सत्संग चलता रहता है