कोरोना-संकट ने दुनिया की बढ़ती अर्थव्यवस्था को रोक दिया है और कई देश तो कई साल पीछे हो गए हैं । जहाँ एक तरफ उद्योग-धंधे कोरोना की मार से अभी तक उबर नहीं पाए हैं, वही दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ने से लोगों की क्रय शक्ति कमजोर हुई है और इस कारण बाज़ार में माँग में कमी आयी है, माँग में कमी आने से उत्पादन घटा है और उत्पादन घटने से कम्पनियों/फैक्ट्रियों को हो रहे नुक़सान का सीधा नकारात्मक असर इनमें काम करने वाले श्रमिकों पर पड़ा है। अपने हुए नुक़सान की भरपायी करने के लिए वे मनमाने तरीक़े से इन श्रमिकों का वेतन कम करने से लेकर इनको नौकरी से निकाले जाने तक के हथकंडे अपना रही हैं, जिसके कारण श्रमिकों के जीवन पर संकट आ खड़ा हुआ है .