मीरगंज में बस डिपो के लिए जमीन चिह्नित करते हुए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। चिह्नित हुई जमीन इसके लिए सबसे उपयुक्त है। जल्द ही स्वीकृति मिल जाएगी। इसके बाद इसके स्थापना का कार्य शुरू होगा। -महेन्द्र सिंह तंवर, डीएम, संतकबीरनगर मीरगंज में हाईवे के किनारे ही चिह्नित की गई है डिपो की जमीन डीएम ने उक्त भूमि पर मिलने वाली सुविधा के बारे में दी जानकारी बस डिपो न होने से यात्री होते हैं परेशान जनपद में बस डीपो न होने से यात्रियों को काफी समस्या होती है। खुले आसमान के नीचे खड़े होकर बस का इंतजार करते हैं। इसके अलावा ज्यादातर बसें ऊपर से ही निकल जाती हैं। कुछ ही बसें ही बाईपास बस स्टेशन पर पहुंचती हैं। डीपो बनने से यात्री सुविधाएं बढ़ जाएंगी। एसी बसें भी जिले में मिलने लगेंगी। संतकबीरनगर। जनपद में बस डिपो की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है। तमाम झंझावतों के बाद जिलाधिकारी महेन्द्र सिंह तंवर ने आखिरकार डिपो की स्थापना के लिए जमीन चिन्हित कराते हुए उसका प्रस्ताव शासन को भेज दिया। बुधवार को जिलाधिकारी ने प्रमुख सचिव परिवहन निगम को प्रस्ताव भेज दिया। कुल 1.503 हेक्टयेर क्षेत्र में बस डिपो स्थापित होगा। डीएम ने प्रमुख सचिव को भेजे प्रस्ताव में कहा है कि जनपद में बस डीपो नहीं है, इस कारण तमाम बसें बिना रुके ही ओवरब्रिज से होकर निकल जाती हैं। कुछ बसें ओवरब्रिज से नीचे मुख्य मार्ग पर रुकती हैं। जिससे वहां आवागमन प्रभावित होता है, वहीं अक्सर दुर्घटनाएं भी होती है। ऐसे में जनपद में बस अड्डा स्थापित किया जाना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पूर्व में 20 फरवरी 2023 को तत्कालीन जिलाधिकारी ने सरयू कैनाल कॉलोनी की सिंचाई विभाग के नाम से आवंटित भूखंड को पुराना बस अड्डा में स्थानांतरित करते हुए नया बस अड्डा बनाने का प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन इस प्रस्ताव की समीक्षा में स्थान उचित नहीं मिला। आबादी के बीच स्थित सिंचाई विभाग के इस भूखंड में बस अड्डा बन जाने से जाम और आवागमन की समस्या बढ़ जाएगी। इसके अलावा सरयू कैनाल कॉलोनी में स्थित सरकारी आवास में रहने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को भी समस्या होगी। ऐसे में बस डीपो के लिए नए स्थान की तलाश की गई है। सबसे उपयुक्त जगह मीरगंज में चिन्हित की गई है। प्रस्ताव में उल्लेख किया गया बस डीपो के लिए मीरगंज की गाटा संख्या 89, 90, 91, 93 का कुल रकबा 1.503 हेक्टेयर है। इसे चिन्हांकित कर लिया गया है। यह भूमि मुख्य मार्ग पर है। यहां बस डीपो की स्थापना से बसों के आवागमन और रुकने में कोई कठिनाई नहीं होगी। बस डीपो की काफी दिनों से उठ रही थी मांग जनपद में बस डीपो का इंतजार 25 वर्षों से हो रहा है। जनपद बनने के बाद से ही इसकी मांग उठ रही है। लेकिन जमीन न मिलने के कारण मामला अधर में अभी तक लटका है। विधायक और सांसद के स्तर से प्रयास किए गए, लेकिन जो भी जमीन चिन्हित हुई उसकी कीमत अधिक होने के कारण परिवहन निगम के जिम्मेदार हाथ खड़े कर दे रहे थे। पिछले दिनों संसाद प्रवीण निषाद ने इसको लेकर ठोस प्रयास शुरू किया तो कार्य में तेजी आई। सिंचाई विभाग की जमीन का प्रस्ताव शासन को भेजा गया, लेकिन उसमें भी बाधा उत्पन्न हो गई।