जलवायु परिवर्तन का गहरा असर खेती पर पड़ रहा है। किसान उसको लेकर परेशान हैं। खेती पर लागत बढ़ती जा रही और उत्पादन घटता जा रहा है। रबी, खरीफ और गरमा तीनों फसलों पर प्रभाव पड़ा है। तीनों सीजन वाली फसल लगने की अवधि में 30 से 40 दिन की बढ़ोतरी हो गई। रबी फसल की बुआई 20 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच होनी चाहिए, लेकिन अब 20 नवंबर से बुआई शुरू हो रही है जो दिसंबर तक होती है। 30 मार्च से 15 अप्रैल तक रबी की फसल में गेहूं कटनी शुरू हो जाती है। मध्य फरवरी से गर्मी शुरू होने के कारण गेहूं सूखने लगता है। इससे गेहूं का दाना सिकुड़ जाता है। इसका असर यह हो रहा कि उत्पादन कम हो रहा और गेहूं की गुणवत्ता अच्छी नहीं हो रही है। इससे गेहूं के उत्पादन में कहीं-कहीं 50 फीसदी तक की कमी हो रही है। मसूर और चना के साथ भी यही हो रहा है। खरीफ फसल की बुआई 20 जून तक हो जानी चाहिए, लेकिन पानी की किल्लत के कारण 25 जुलाई तक बुआई शुरू हो रही है। फसल की कटाई नवंबर के पहले सप्ताह तक होनी चाहिए लेकिन यह अंतिम नवंबर तक चला जा रहा है। इससे रबी फसल लेट हो जा रही है। गर्मा फसल की बुआई की अवधि 15 फरवरी से 15 मार्च तक है लेकिन अप्रैल तक हो रही है। सब्जी फसल पर भी इसका असर देखा जा रहा है। किसान बोरिंग पर निर्भर हो चुके हैं।