जलवायु परिवर्तन चिंता का सबब बन रहा है। जलवायु परिवर्तन की देन है कि जिले में असामान्य बारिश का सामना करना पड़ रहा है। तापमान में उछल कूद भी जलवायु परिवर्तन का कारण बन रहा है। इस परिवर्तन का खामियाजा तालाब, नहर को झेलना पड़ रहा है। इसके कुप्रभाव का का बुरा असर फसल पर पड़ रहा है। जिससे फसल उत्पादन में गिरावट आ रही है। इतना ही नहीं बरसात के दिनों में धान रोपनी से ले अन्य कृषि कार्य में लोग जुटे रहते थे। पर अब मौसम विभाग की चेतावनी से लोग बारिश होने पर घरों से बाहर निकलना छोड़ने लगे हैं। क्योंकि पहले की तुलना में वज्रपात की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है। 42 डिग्री के करीब पहुंचा तापमान इस साल की प्रचंड गर्मी ने विगत कई साल का रिकार्ड तोड दिया। करीब एक सप्ताह तक तापमान में वृद्धि का सिलसिला रहा। जिससे तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। भीषण गर्मी का कहर पहली बार लोगों ने झेला। जिले में जल जीवन हरियाली के तहत करीब 6.20 लाख पौधे मनरेगा से लगाए गए थे। इस साल भीषण गर्मी के शिकार भी ये पौधे हो गए। लिहाजा जिले में एक लाख से अधिक पौधे अधिक गर्मी से सुख गए।