महात्मा गांधी की कर्मस्थली चम्पारण की ऐतिहासिक धरती से पटना के बीच चलने वाली नई इंटरसिटी मेमू एक्सप्रेस सेवा की शुरुआत शनिवार को हुई। इस मौके पर बापूधाम मोतिहारी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या एक पर मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जहां से दोपहर तीन बजे रेलवे स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन सांसद राधामोहन सिंह ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर पाटलिपुत्र स्टेशन के लिए रवाना किया। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सांसद राधामोहन सिंह ने कहा कि आज ही के दिन 15 अप्रैल 1917 को महात्मा गांधी ट्रेन से मोतिहारी पहुंचे थे। उनकी याद में हर वर्ष न सिर्फ समारोह करते हैं बल्कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार हर वर्ष इस मौके पर जिले वासियों को कुछ-न-कुछ नया गिफ्ट देती है। कहा कि पहले इस रूट से रक्सौल से एक इंटरसीटी एक्सप्रेस चलती थी। उसका रास्ता बदल कर सीतामढ़ी के रास्ते चलाया जाने लगा। जबकि एक इंटरसीटी एक्सप्रेस नरकटियागंज से चलती है। नरकटियागंज से आने वाली इंटरसिटी ट्रेन बापूधाम स्टेशन पर पहुंचती है तो इसमें पैर रखने तक कि जगह नहीं होती थी। जिससे मोतिहारी से पटना जाने वाले लोगों को काफी परेशानी होती थी। मोतिहारी शहरवासियों की परेशानी को दूर करने के लिए वंदे भारत ट्रेन की तर्ज पर बापूधाम मोतिहारी व पाटलिपुत्र के बीच नई मेमू इंटरसिटी एक्सप्रेस का शुभारंभ किया गया है। नई मेमू इंटरसीटी एक्सप्रेस के कोच में यात्री सुविधा से संबंधित कई विशेषताएं हैं। पहले डब्बे से आखिरी डब्बे तक यात्री ट्रेन के अंदर से ही आ-जा सकते है। आपात स्थिति में ट्रेन के चालक से बात करने के लिए हर कोच में इंटरकॉम की सुविधा है। ट्रेन में आरामदायक सीट तथा सुरक्षा के लिए फाइबर और स्टेनलेस स्टील की खिड़कियां लगाई गई है। चेनई के पेराम्बुर कोच फैक्ट्री से बंदे भारत के तर्ज पर निर्मित इस ट्रेन के प्रत्येक कोच में एक इंडियन और एक वेस्टर्न टायलेट है। ट्रेन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ट्रेन के सभी कोच में यात्रियों के सुविधा के लिए डिस्पले बोर्ड लगाया गया है। जिसके माध्यम से आने वाले अगले स्टेशन की जानकारी यात्रियों को मिलती रहेगी। कोच की बनावट बंदे भारत ट्रेन के डिजाइन से प्रेरित है।