बिहार राज्य से राजेश मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि उच्च न्यायालय के निर्देश के आलोक में औषधि नियंत्रण प्रशासन मोतिहारी द्वारा जिले के दवा दुकानदारों को फार्मासिस्ट की उपलब्धता संबंधी प्रमाण पत्र के लिए पत्र लिखा जा रहा है। तो दूसरी ओर शहर में ड्रग इंस्पेक्टर विकास शिरोमणि द्वारा सरकारी प्रतिष्ठानों की फार्मासिस्ट की उपस्थिति के संदर्भ में जांच की दिशा में अभियान प्रारंभ कर दिया गया है। इससे सरकारी व गैर सरकारी दवा व्यवसायियों एवं संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है। बताते है कि कई ऐसे फार्मासिस्ट हैं जो मर गए हैं फिर भी उनके नाम पर दवा की दुकान चल रही है। इसके अलावा जब भी दवा दुकान पर ड्रग विभाग के द्वारा फार्मासिस्ट की खोज होती है तो अधिकांश दवा दुकानदार के द्वारा बताया जाता है कि फार्मासिस्ट को बुखार लगा हुआ है तो कुछ बताते हैं कि वह खाना खाने गया है। इस बात पर कोर्ट ने नाराजगी जतायी है और दवा दुकानदारों से फार्मासिस्ट का नाम ,पता व रिन्यूअल का कागजात सहित पहचान पत्र मांगने का निर्देश दिया है। बताया जाता है कि जिले में करीब 22 सौ दवा की लाईसेंसी दुकान है जो फार्मासिस्ट के नाम पर दिया गया है। मगर अधिकांश दवा दुकान पर फार्मासिस्ट नहीं देखे जाते हैं फिर भी दवा दुकान चलती रहती है। हालत यह है कि कई दवा दुकान पर ऐसे नाबालिग लड़के भी दवा बेचते हैं जिन्हें इंग्लिश ठीक से नहीं आती। कई बार कुछ और ही दवा देते हैं। बावजूद विभाग मौन है। मगर अब हाई कोर्ट के निर्देश के बाद विभाग से लेकर दवा दुकानदारों की परेशानियां बढ़ गयी है।