भारत सरकार द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र को ड्रोन उपलब्ध कराया गया है। जिससे जिले के किसानों के खेतों यूरिया व कीटनाशक का छिड़काव होगा। बताया जाता है कि कृषि विज्ञान केंद्र व महात्मा गांधी समेकित अनुसंधान संस्थान दोनों को केंद्र सरकार द्वारा राशि विमुक्त कर कराई गई थी। परंतु समेकित कृषि अनुसंधान संस्थान की उदासीनता के कारण वित्तीय वर्ष समाप्त होने से राशि वापस लौट गई। केविके प्रमुख डॉ. अरबिंद कुमार सिंह ने बताया कि केविके पीपराकोठी व परसौनी में एक-एक ड्रोन उपलब्ध कराया गया है। जिसे चालू सीजन से किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।  ड्रोन का कैमरा फसलों की सेहत का रखेगा ख्याल: ड्रोन मैन्यूअल के मुकाबले 10 गुना तेजी कीटनाशक का छिड़काव करेगा। इसे एग्रीकॉप्टर का नाम दिया गया है। इसमें लगे कैमरे फसलों की सेहत पर भी नजर रखेगी। यह एक बार 15 लीटर कीटनाशक ले जाने में सक्षम होगा। यह खेत का स्मार्ट मैप बनाने में भी मदद करेगा। किसानों की सेहत का रखेगा ख्याल: मैन्यूअल कीटनाशक का छिड़काव करने पर लोगों की सेहत प्रभावित होती है। किसानों और मजदूरों पर जहरीले रसायन का बुरा प्रभाव रोकने में यह ड्रोन कारगर साबित होगा। ड्रोन में लगा अत्याधुनिक मल्टीस्पैक्ट्रल इमेजिंग कैमरा फसल की सेहत के आधार पर खेत का स्मार्ट मैप बनाने में मदद करेगा। इसमें ऑटोमेटिक कीटनाशक रीफिलिंग सिस्टम लगाया गया है। यह सुनिश्चित करता है कि कीटनाशक का छिड़काव अपने आप लगातार होता रहे। बाढ़ग्रस्त जलीय इलाके पर किसानों को इससे सर्वाधिक व महत्वपूर्ण फायदे मिल रहे हैं। रासायनिक वेस्टेज की संभावना अधिक रहती है। पहले जहां 1 एकड़ भूमि में मैन्युअल रूप से रसायनों का छिड़काव करने में घंटों लग जाते थे, अब वहीं ड्रोन के माध्यम से मुश्किल से 10-15 मिनट में उस काम को कर लिया जाएगा। इससे किसानों का काफी समय बचेगा जिसका उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। वहीं, मैन्युअल रूप से किए जाने वाले पानी की तुलना में ड्रोन फसलों पर छिड़काव के लिए आवश्यक रसायनों को बहुत कम पानी में पतला कर देता है। साथ ही पानी का संरक्षण भी कर सकता है। केंद्र सरकार किसानों को दे रही सब्सिडी: यदि किसान स्वयं खरीदना चाहते हैं तो केंद्र सरकार ड्रोन खरीदने पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है। सीमांत किसान, महिला किसान को  ‘ड्रोन सब्सिडी योजना’ के तहत सब्सिडी उपलब्ध कराया जा रहा है।