शहद का उत्पादन शुरू कर महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ेंगी। 25 महिलाओं के समूह में शहद का उत्पादन शुरू करेंगी। नेशनल बी कीपिंग एंड हनी मिशन कार्यक्रम के तहत अनुसूचित जाति वर्ग की महिलाओं को स्वरोजगार के लिए जिला उद्यान विभाग ने कवायद शुरू की है। इस योजना के तहत शहद उत्पादन से महिलाओं की कमाई होगी। साथ ही अपने पैरों पर खड़े होकर अपना रोजगार करेंगी। इसके लिए विभागीय स्तर से प्रत्येक समूह में दस दस मधुमक्खी बॉक्स निशुल्क दिये जाएंगे। बॉक्स मुहैया कराये जाने के बाद महिला समूह द्वारा शहद का उत्पादन शुरू किया जाएगा। जिले में पहली बार इस योजना की शुरूआत की गयी है। इस योजना के तहत तीन प्रखंडों का चयन किया गया है। इसमें मधुबन, मेहसी व चकिया प्रखंड शामिल है। इसमें मधुबन प्रखंड की 25 महिलाओं को सात दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया है। अब इनके समूह का गठन कराया जाएगा। समूह गठन के बाद नये वित्तीय वर्ष में दस मधुमक्खी बॉक्स दिये जाएंगे। वहीं मेहसी व चकिया प्रखंड में भी 25-25 अनुसूचित जाति वर्ग के महिलाओं का चयन कर लिया गया है। – आजीविका का साधन बनेगा शहद का उत्पादन शहद उत्पादन से महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकेंगी। मधुमक्खी पालन आजीविका का साधन बन सकता है। इसके लिए महिलाओं को केविके पिपराकोठी में सात दिवसीय प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। इसमें मधुमक्खी पालन से शहद उत्पादन के गुर सिखाए जाएंगे। जिससे महिलाएं खुद शहद का उत्पादन कर सकेंगी। दस मधुमक्खी बॉक्स से छह क्विंटल तक शहद का उत्पादन प्रति समूह दस मधुमक्खी बॉक्स देने की योजना है। महिलाएं लीची के सीजन, रबी मौसम में सरसों के सीजन आदि में मधुमक्खी बॉक्स लगाएंगी। लीची से उत्पादित शहद की बाजार में अधिक मांग रहती है। इसमें शहद की मिठास अधिक रहती है। प्रति बॉक्स 20-20 किलो तक एक सीजन में तीन बार शहद का उत्पादन होता है। इससे मात्र दस बॉक्स से करीब 6 क्विंटल तक शहद का उत्पादन हो सकता है। मार्केट रेट सौ रुपये प्रति किलो की दर से बिकने पर शहद से एक सीजन में 60 हजार रुपये तक कमाई हो सकती है। महिलाएं गुणवत्तापूर्ण शहद का उत्पादन, प्रसंस्करण व विपणन कर अच्छी आय प्राप्त कर सकती हैं। इसको लेकर चयनित प्रखंड के समूह की महिलाओं को सात दिवसीय प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। मधुबन प्रखंड की 25 महिलाओं को प्रशिक्षण दिलाया गया है। डॉ. अमरजीत कुमार राय, सहायक निदेशक, जिला उद्यान विभाग