यक्ष्मा दिवस को लेकर पूरी तैयारी की गई है। जिला के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर कम से कम 5 सौ टीबी के मरीजों की जांच करने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावे सभी हेल्थ कम्युनिटी प्रभारी को जितने भी टीबी के मरीज हैं या फिर ठीक हो गए हैं उनके घर घर जाकर उनके परिजनों के टीबी की जांच करने का निर्देश दिया गया है। टीबी के मरीज व 5 साल के अंदर ठीक हुए टीबी के मरीजों की भी सूची दे दी गयी है। 14 अप्रैल तक इसकी पूरी जानकारी मांगी गई है। बताते हैं कि जिला में अभी भी करीब 7 हजार टीबी के मरीज हैं। इसके अलावे 145 एमडीआर के मरीज हैं। वर्ष 2025 तक जिला को टीबी की बीमारी से मुक्त कर देना है। मगर हालत यह है कि जिला के 15 स्वास्थ्य केंद्र पर टीबी की जांच नहीं होती है । बताते हैं कि लैब टेक्नीशियन की कमी है। जानकर बताते हैं कि अगर जिला के सभी स्वास्थ्य केंद्र पर टीबी की जांच हो तो इसकी संख्या दोगुना से ज्यादा होगा। मगर जांच की सुविधा नहीं होने , निजी लैब में जांच का अधिक शुल्क होने व जागरूकता की कमी के करण अधिकांश लोग जांच नहीं कर पाते हैं। बताया जाता है कि टीबी के मरीज का ईलाज के दौरान दो महंगी जांच हर तीन महीने पर करना पड़ता है। जिला टीबी अधिकारी डॉ. कुमार रंजीत राय ने बताया कि टीबी के मरीजों की संख्या कम होती जा रही है। टीबी खोजी अभियान चलाया जा रहा है।