चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से सनातन धर्म का सर्वमान्य नव संवत्सर का आरंभ होता है। इसी तिथि से पितामह ब्रह्मा ने सृष्टि निर्माण प्रारंभ किया था। इस नव संवत्सर को विभिन्न स्वरूप व परंपरा के अनुसार मनाया जाएगा। तदनुसार 22 मार्च बुधवार से नल नामक नव संवत्सर 2080 प्रारंभ होगा तथा इसी के साथ वासंतिक या चैत्र नवरात्र भी प्रारंभ होगा। इस वर्ष नौ दिनों का पूर्ण नवरात्र एवं पन्द्रह दिनों का पूर्ण पक्ष सामान्यतया शुभफलकारक है। चैत्र नवरात्र में आद्यशक्ति जगदम्बा के साथ नवगौरी के दर्शन-पूजन व दुर्गासप्तशती के पाठ का पुण्यफलदायक विधान है।उक्त जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने दी। उन्होंने बताया कि इस दिन चैत्र नवरात्र पूजन के निमित्त कलश स्थापन प्रतिपदा तिथि में प्रातकाल 0559 बजे से रात्रि 0923 बजे तक किया जाएगा। अष्टमी तिथि की महानिशा पूजा 28 मार्च मंगलवार को होगी। महा अष्टमी व्रत 29 मार्च बुधवार को होगा। महा नवमी का व्रत एवं श्री रामनवमी का पुण्य पवित्र पर्व 30 मार्च गुरुवार को मनाया जाएगा।
