दो वर्षों के अथक प्रयास से उत्कृष्ट पशु प्रजनन केंद्र के वैज्ञानिकों को आखिरकार सफलता मिली है। देसी नस्ल की गायों के विकास व संरक्षित करने के लिए जारी परियोजना के तहत भ्रूण प्रत्यारोपण से पहली बछिया को जन्म दिया है। पशु प्रजनन केंद्र के निदेशक डॉ. सुमित सिंघल के नेतृत्व में आधा दर्ज वैज्ञानिक वर्ष 21 से इस कार्य में लगे थे। कई असफलताओं को पीछे छोड़ टीम के प्रयास से 8 जनवरी को सफलता मिली। हालांकि पीपराकोठी केंद्र पर अनुकूल वातावरण युक्त प्रयोगशाला नहीं होने के कारण बछिये का जन्म डॉ. राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा के प्रयोगशाला में बछिये का जन्म कराया गया। डॉ. सुमित सिंघल ने बताया कि सितम्बर 21 पहली बार सफलतापूर्वक डेमोंस्ट्रेशन किया गया। जिसके अंतर्गत देसी सांड से भ्रूण को निकाला गया। व पूसा के विशिष्ट वैज्ञानिकों के टीम को दिखाया गया। जहां से हरी झंडी मिलने के बाद भ्रूण को पांच संकर नस्ल के गायों में प्रत्यारोपित किया गया। जिसमें एक गाय के मामले में असफलता मिली वहीं दूसरे ने सफलतापूर्वक बछिये को जन्म दिया। शेष तीन गायें गर्भाधान कर अभी स्वस्थ्य हैं। जिसमें भी सफलता मिलने की सौ फीसद उम्मीद जताई जा रही है। कार्य में लगे थे वैज्ञानिक: इस डेमोस्ट्रेशन में एक वर्षों से आधा दर्जन वैज्ञानिक लगे थे। जिसमें डॉ. सुमित सिंघल, डॉ.नरेंद्र कुमार, डॉ. कृष्ण मोहन कुमार, पूसा के डॉ. प्रमोद कुमार व डॉ.आरके अस्थान का नाम शामिल है। बिहार का दूसरा संस्थान बना उत्कृष्ट पशु प्रजनन केंद्र: विज्ञान के इस सफलता से पीपराकोठी के उत्कृष्ट पशु प्रजनन केंद्र बिहार का दूसरा संस्थान बन गया है। इसके पूर्व बसु पटना वेटनरी कॉलेज के वैज्ञानिकों को यह सफलता मिल चुका है। क्या है भ्रूण स्थानांतरण: डॉ.सुमित सिंघल ने बताया कि यह मल्टीपल ओव्यूलेशन और एम्ब्रियो ट्रांसफर  तकनीक के रूप में भी जाना जाता है। इसका उपयोग बेहतर मादा डेयरी जानवरों की प्रजनन दर को बढ़ाने के लिए किया जाता है। आम तौर पर, एक साल में एक गाय से एक बछड़ा या बछिया प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन एमओईटी तकनीक के इस्तेमाल से एक गाय से एक साल में 10-20 बछड़े मिल सकते हैं। एक बढ़िया नस्ल की गाय को सुपर-ओव्यूलेशन को प्रेरित करने के लिए एफएसएच जैसी गतिविधि वाले हार्मोन दिए जाते हैं। हार्मोन के प्रभाव में, मादा सामान्य रूप से उत्पादित एक अंडे के बजाय कई अंडे देती है। एस्ट्रस के दौरान 12 घंटे के बाद पर सुपर-ओवुलेटेड मादा का 2-3 बार गर्भाधान किया जाता है और फिर विकासशील भ्रूणों को फिर से प्राप्त करने के लिए इसके गर्भाशय को गर्भाधान के बाद मध्यम 7वें दिन से फ्लश किया जाता है। एक विशेष फिल्टर में फ्लशिंग माध्यम के साथ भ्रूण एकत्र किए जाते हैं और माइक्रोस्कोप के तहत भ्रूण की गुणवत्ता का आकलन किया जाता है। अच्छी गुणवत्ता वाले भ्रूण या तो जमे हुए होते हैं और भविष्य में स्थानांतरण के लिए संरक्षित होते हैं या गर्मी की तारीख के लगभग सात दिनों के बाद प्राप्तकर्ता जानवरों में ताजा स्थानांतरित हो जाते हैं। इस प्रकार एक अच्छी नस्ल के डेयरी पशु से एक साल में कई बछड़ों का उत्पादन किया जा सकता है। बताया कि देसी नस्ल के गायों के संरक्षण के लिए केंद्र इस तकनीक पर कार्य कर रही है। क्या कहते हैं निदेशक: उत्कृष्ट पशु प्रजनन केंद्र के निदेशक डॉ. सुमित सिंघल ने कहा कि यह सामूहिक प्रसास का परिणाम है। कहा कि गोकुल मिशन एक मेगा प्रोजेक्ट है। जिसका लाभदायी परिणाम अब आने लगा है।