प्राख्यात बिहार का मखाना अब चम्पारण में दस्तक दी दस्तक, धनौती नदी में करीब 3 किमी में हो रही है खेती
मिथलांचल की तरह अब मोतिहारी में भी मखाना की खेती शुरू की गई है। यहां भी इस खेती को बढ़ाया जा रहा है। बंजरिया में धनौती नदी में इसकी खेती की शुरूआत हुई है। रोहिनिया, सिजुआ व रतड़ा चंवर में भी खेती संभव है। यह एक नकदी फसल है। बाहर के व्यापारी आकर यहां उगाए गए मखाना को खरीद रहे हैं। पूर्व प्रमुख ललन कुमार इसकी खेती कर रहे हैं। करीब तीन किमी में इसकी खेती की जा रही है। यहां के मखाना का दाना बड़ा व गोल होता है। जिसकी बाजार में अधिक डिमांड है। मखाने की खेती की है खासियत:इसके खेती की खासियत यह है कि इसमें लागत ज्यादा नहीं आती। खेती के लिए तालाब और पानी की जरूरत होती है। ज्यादा गहरे तालाब की जरूरत भी नहीं होती। बस दो से तीन फीट गहरा तालाब ही इसके लिए काफी रहता है। जिन इलाकों में अच्छी बारिश होती है और पानी के संसाधन मौजूद हैं, वहां इसकी खेती खूब फलती-फूलती है। यूं तो मखाने की खेती दिसंबर से जुलाई तक ही होती है। लेकिन अब कृषि की नित-नई तकनीकों और उन्नत किस्म के बीजों की बदौलत किसान साल में मखाने की दो फसलें भी ले सकते हैं। एक हेक्टेयर तालाब में 80 किलो बीज बोये जाते हैं। सेहत का खजाना मखाना: जैविक विधि से होने वाले मखाना को स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद माना गया है। मखाना में मौजूद प्रोटीन मसल्स बनाने और फिट रखने में मदद करता है। मखाना में सोडियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम अच्छी मात्रा में पाया जाता है। ब्लड प्रेशर की शिकायत में मखाना का सेवन किया जा सकता हैं। हड्डी और दांत के लिए भी यह फायदेमंद होता है। डायबिटीज में इसका सेवन लाभदायक होता है। मखाना में एस्ट्रिंजेंट से किडनी की बीमारी से बचता है। इसमें वसा नहीं होने से वजन भी कम करता है। इसमें भरपूर पोषक तत्व इम्युनिटी बढ़ाने में उपयुक्त माना गया है।
