जिले में आयुर्वेद के नाम पर इलाज करने वाले डॉक्टरों की भरमार है। कुछ तो डिग्री धारक हैं और कुछ बगैर डिग्री के भी अपना किलिनिक खोल रखे हैं। ऐसे डाक्टरों में कुछ लोग मधुमेह रोग विशेषज्ञ तो कुछ लोग पेट व छाती रोग विशेषज्ञ का बोर्ड लगा रखा है। मरीज को आयुर्वेद का चूर्ण भी दे रहे हैं। यह चूर्ण किसी ब्रांडेड कंपनी की नहीं है बल्कि स्व निर्मित दे रहे हैं। इसको लेकर कई लोगों ने नाम गुप्त रख कर ड्रग विभाग को शिकायत की है कि इस चूर्ण में एलोपैथिक दवा भी है। पता नहीं इसका मिश्रण कैसे किया गया है। इस शिकायत पर ड्रग विभाग के कान खड़े हो गये हैं। इसको लेकर ड्रग विभाग के द्वारा चूर्ण का सैम्पल लिए जाने का काम शुरू किया जा रहा है। बताते हैं कि आयुर्वेद चूर्ण में एलोपैथिक दवा का मिलाना अपराध है और यह अपराध कतिपय आयुर्वेद के कथित डाक्टर कर रहे हैं। इसका खुलासा पिछले साल शहर के सटे रघुनाथपुर में हुआ था। कैप्सूल में सत्तू भर कर आयुर्वेदिक टॉनिक बता बेचा जा रहा था। जो पकड़ा गया। ऐसा ही गोरख धंधा अभी भी चल रहा है। ऐसे डाक्टरों की न तो सीएस के द्वारा डिग्री की जांच की जाती है और न रोकथाम के लिये कार्रवाई की जाती है। नतीजतन यह धंधा फलफूल रहा है। जानकर बताते हैं कि दलाल के माध्य्म से चलने वाले ऐसे क्लिनिक पर मरीजों की अच्छा भीड़ भी रहती है।मगर जब किडनी व लिवर डैमेज होने लगता है तो फिर ऐसे मरीज सही डाक्टर के पास दौड़ लगाते हैं। बताते है कि इस तरह का बहुत केस डाक्टरों के पास आने लगा है। चकिया के मधुमेह रोगी ब्रजनन्दन प्रसाद जो डाक्टर से इलाज कराने आये थे। उन्होंने डाक्टर से बताया कि वे शहर के बेलवनवा स्थित एक डाक्टर से इलाज कराए। उनके यहां से दवा के नाम पर चूर्ण मिला। शुगर कन्ट्रोल तो हुआ मगर कुछ ही दिन में सुगर कन्ट्रोल से बाहर हो गया। अल्ट्रासाउंड कराए तो मालूम हुआ कि किडनी से लेकर लिवर तक डैमेज हो गया है। अब नए सिरे से डाक्टर से इलाज करवा रहे हैंजिससे सुधार है।