पूर्वी चंपारण जिले में बगैर लाइसेंस व निलंबित लाइसेंस वाली दवा दुकानों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। इसके बावजूद ड्रग विभाग व पुलिस प्रशासन उन पर कार्रवाई नहीं कर रहा। इससे विभाग को राजस्व का चूना लग रहा है। सूत्रों के अनुसार जिला में 42 सौ दवा की लाइसेंसी दुकानें हैं। होल सेल की दुकान 8 सौ है। जबकि बिना लाइसेंस वाली दुकानों को जोड़ दें तो संख्या 55 सौ पहुंच जायेगी। 50 दवा की दुकानों का लाइसेंस किया गया है निलंबित बताते हैं कि जिले में करीब 50 दवा दुकानों का लाइसेंस निलंबित किया गया है। इसकी सूचना थाना सहित वरीय अधिकारी व संबंधित ड्रग इंस्पेक्टर को को दी गयी है। इसके बावजूद ये दुकानें संचालित हो रही हैं। इसकी सूचना देने पर भी विभाग चुप है। जानकर बताते हैं कि मोतिहारी शहर को छोड़ दें तो बाकि जगह ड्रग विभाग की सक्रियता नहीं दिखती। इस कारण अन्य जगहों पर ऐसी दवा दुकानों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। बताया जाता है कि ड्रग विभाग का आलम यह है कि अब लोग दवा के लाइसेंस के लिए विभाग का चक्कर नहीं लगा अपनी दुकान खोल रहे हैं। बिना लाइसेंस वाली दवा दुकानों की संख्या करीब हजार तक पहुंच गयी है। इन दवा की दुकानों में दवा किस होल सेलर से बगैर बिल की आती है इसका कोई अता पता विभाग के पास नहीं है। दवा असली ब्रांड का है या नकली है इसकी भी बगैर लाइसेंस वाली दवा दुकानों में जांच नहीं होती है।बताते हैं कि जिला में अब बगैर बिल की दवा मांगना अब एक धंधा बन गया है। जिससे सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की चोरी हो रही है। फिर भी प्रशासन चुप है। अवैध रूप से दवा दुकान के संचालन पर दवा व्यवसायी भी ड्रग विभाग को इस पर नियंत्रण करने और जो दवा दुकान दवा पर 20 से 30 प्रतिशत का छूट लिख कर दवा बेच रहे हैं उन पर भी नियंत्रण करने की मांग की है। शहर में तो ऐसे दवा का बोर्ड हटाया गया है मगर ग्रामीण इलाके में बोर्ड भी है व दवा भी बेची जा रही है। सिविल सर्जन डॉ. अंजनी कुमार ने बताया कि जांच करना ड्रग विभाग का काम है। मगर सस्पेंड लाइसेंस वाली दवा दुकान व बिना लाइसेंस के दवा दुकान चल रहेहैं तो इसकी सूचना ड्रग कन्ट्रोल पटना को भेजा जाएगा।