चम्पारण के मशरूम उत्पादक किसानों के लिए खुशखबरी है। अब किसानों को मशरूम का स्पॉन बाहर से नहीं मंगाना पड़ेगा। कृषि विज्ञान केंद्र में मशरूम के स्पॉन अर्थात बीज के उत्पादन की प्रक्रिया आरम्भ हुई है। पिछले कुछ वर्षों से चम्पारण के बाजारों में मशरूम उत्पादों की मांग बढ़ने से किसान इसके उत्पादन में अधिक रुचि दिखाए हैं। व इसकी खेती काफी फलफूल रही है। इसके लिए प्रयोगशाला का निर्माण किया गया है। वहीं मशीन लगा कर उत्पादन आरम्भ किया गया है। पूर्व में बीज पूसा से बीज मंगवाकर केविके किसानों को उपलब्ध कराते थे। यूं तो प्रयोगशाला में सभी प्रकार के मशरूम के उत्पादन की क्षमता है। परंतु मौसम व जलवायु को देखते हुए बटर व ऑयस्टर मशरूम का उत्पादन आरम्भ किया गया है। किसानों को होगा फायदा: बाहर से स्पॉन मनवाने से अधिक समय तक हवा में रहने के कारण उत्पादन क्षणता प्रायः कम हो जाती थी। यहां उत्पादन होने से किसानों को फायदा होगा। लैब के बाद शीघ्र ही प्रक्रिया में लाने के बाद उत्पादन बढ़ जाएगा व मशरूम रोगग्रस्त नहीं होगा। वैज्ञानिक डॉ. गायत्री ने बताया कि दस दिनों में एक ट्यूब से पांच किलो मदर कल्चर होगा तैयार होगा। वहीं पियोर कल्चर लैब में एक वर्ष तक रहेगा जीवित। बताया कि किसान भी अपने घर इस संयंत्र को लगा सकते हैं। बताया कि मशरूम बीज या स्पॉन एक तरह का कवक जाल होता है। जिसे मशरूम कम्पोस्ट तैयार करके उगाया जाता है। यह भोजन के रुप में अत्यधिक ऊर्जा प्रदान करते हैं। मशरुम संवर्धन या कल्चर होगा: मशरूम स्पॉन तैयार करने के लिए सबसे पहले कल्चर तैयार किया जाता है। वहीं कल्चर तैयार करने की तीन प्रमुख पद्धतियां हैं। जिसमें सिंगल स्पोर कल्चर तकनीक, मल्टीपल, स्पोर कल्चर तकनीक, टिश्यू कल्चर तकनीक शामिल है। जिस तरह मशरूम कम्पोस्ट के माध्यम से उगाया जाता है, उसी तरह कल्चर को भी विभिन्न माध्यमों के जरिए तैयार किया जाता है। ऐसे कई माध्यम है जिसकी मदद से मशरूम का कल्चर तैयार किया जाता है। जिसमें आलू, ग्लुकोज व माल्ट एक्सट्रेक्ट आदि। बहुत से ऐसे पदार्थ है जो अकेले या फिर अन्य पदार्थो से मिलकर स्पॉन तैयार कर सकते हैं। जैसे, प्रचलित माध्यम है ज्वार, धान की पुआल, गेहूं, राई, कपास के अवशेष तथा चाय की पत्ती आदि। प्रयोगशाला में लगे हैं मशीन: केविके के लैब में स्पॉन उत्पादन के लिए छोटे बड़े कई मशीन लगाए गए हैं। जिसमें 60 लीटर की ऑटोक्लेव मशीन, लैमिनार ऐयर फ्लो हीटर, एसी, स्प्रिट लैप, भगोना आदि लगाया गया है। मशरूम स्पॉन बिजनेस से कमाई: किसान इसे लगा कर मुनाफा कमा सकते हैं। अच्छी क्वालिटी का बीज बनाने में प्रति किलोग्राम 40 से 50 रूपए का खर्च होता है, इन बीजों को 80 से 100 रूपए किलो के भाव में आसानी से बेच सकते हैं. इस तरह प्रति किलो बीज पर 40 से 50 रूपए की कमाई की जा सकती है। क्या कहते हैं केविके हेड: केविके हेड डॉ. अरबिंद कुमार सिंह ने बताया कि इसको केविके में लगाने के बाद किसानों का मुनाफा बढ़ जाएगा। किसानों को स्वयं इसे लगाने व संचालित करने के लिए प्रशिक्षित व जागरूक किया जाएगा। यह किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा।
