बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से रंजन कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले अधिकांश लोग मजदूरी खेती कर पाना तथा अपने परिवार का भरण पोषण करने का प्रयास करते हैं। इनके यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है। गिद्धौर प्रखंड के जितने भी पंचायत हैं सभी पंचायत के गांव में खेती भगवान् भरोसे होता है।हर वर्ष खेती को किसान,मेहनत ,मजदूरी,पूंजी लगाकर करते हैं और जब समय पर वर्षा नहीं होती तो फसल मर जाते हैं,ऐसा होने के कारण किसान कर्ज की दलदल में फंस जाते हैं और परिवार को घर पर छोड़ बाहर देश चले जाते हैं। रंजन जी ने बताया की जब बिहार के मजदुर प्रदेश जाते हैं, तो उन्हें मजदूरी करने के लिए किसी ठेकेदार का सहारा लेना पड़ता है। जब बिहार के लोग बाहर काम करने जाते, तो वहाँ उनका कोई नहीं होता, उनके साथ सबसे बड़ी समस्या होती है खाने और पिने की। इसलिए मजदुर किसी भी काम को करने के लिए तैयार हो जाते हैं। रंजन जी ने यह भी बताया कि दूसरे देश के लोग हमारे यहां के मजदूरों को कम मजदूरी पर काम करवाते हैं और अधिक समय तक काम देता है। इसलिए यहां के ठेकेदार और फैक्ट्री मालिक स्थानीय लोगो को नहीं रख कर प्रवासी लोगों को काम पर रखना पसंद करती है।रंजन जी ने यह भी बताया कि हमारे यहाँ के मजदुर पलायन इसलिए करते हैं क्यूंकि हमारे राज्य में आए मनरेगा एवं नरेगा के द्वारा भी उन्हें कोई काम नहीं मिल पा रहा है।दिन प्रतिदिन जनसँख्या बढ़ती जा रही है और जमीन छोटे छोटे टुकड़े में विभक्त होती चली जा रही है। जिसके कारण किसानो को खेती करने में असुविधा होती है। सरकार द्वारा अनुदान फसल बिमा योजना का लाभ किसानो तक नहीं पहुंचता है। जिसके कारण किसान अपनी खेती बारी छोड़ दूसरे राज्य में काम के लिए पलायन कर जाते हैं।साथ ही रंजन ने यह भी बात रखी की देश की गतिविधि सुधारने में किसानों का बहुत बड़ा हाथ होता है और सरकार उसी किसान को अनदेखा करता है। किसानों को हमारे देश में अन्न दाता भी कहा जाता है क्यूंकि जब तक किसान अपनी मेहनत और लगन से खेती नहीं करेंगे ,तब तक अच्छी खेती नहीं हो पाएगी और भारतीय लोग क्या खाएंगे। किसान अपने खून पसीने बहा कर दूसरों के लिए भोजन तैयार करते है। जिसे देखने वाला कोई नहीं है।