बिहार राज्य के जमुई जिला गिद्धौर प्रखंड से रंजन कुमार मोबाइल वाणी के द्वारा जानकारी साझा करते की किसी भी शिशु के लिए जन्म लेने के तुरंत बाद मां का दूध अमृत जैसा होता है। जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराना आवश्यक है। क्योंकि यह स्तनपान ही शिशु के पूरे जीवन के लिए एक मजबूत नींव तैयार करता है। यह तथ्य पूरे विश्व में सर्वमान्य है। इसके चलते ही हर वर्ष एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। इस दौरान सरकार और विभिन्न संस्थाओं द्वारा जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसमें महिलाओं को अपने बच्चों को स्तनपान कराने के लिए जागरूक किया जाता है और इसका महत्व भी बताया जाता है। मां के पहले दूध में कई प्रकार के टीकों के बराबर प्रतिरोधक क्षमता होती है। यह अपने नवजात शिशु को बिमारियों से बचाने का सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। यह बच्चे के शरीर में वे सभी इम्यून रिस्पांस पैदा करता है जो हानिकारक बैक्टीरिया पैदा करते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर आपका बच्चा पहले से ही किसी बीमारी से इम्यून होगा उनका इम्यून सिस्टम उस कीटाणु को पहचान लेगा और उस कीटाणु को खत्म करेगा। बच्चों को एंटीबायोटिक्स नहीं देनी चाहिए क्योंकि यह बच्चों में किसी आम वायरस की वजह से होती हैं। एंटीबायोटिक्स से बच्चों के पेट में वे सभी बैक्टीरिया भी मर जाते हैं जो उनकी इम्युनिटी के लिए बहुत ज़रूरी होते हैं। एंटीबायोटिक्स के बाद अगर बच्चों को प्रोबायोटिक्स दिए जाये तो इससे बच्चों का इम्यून सिस्टम बेहतर होने लगता है।