बिहार राज्य के जमुई जिला से संजीवन कुमार जी मोबाइल वाणी के माध्यम मलेरिया बीमारी से गर्मियों के दिनों में कैसे बबचा जाये इस सम्बन्ध कहते हैं कि मलेरिया मच्छर जनित बीमारी है। इसका प्रभाव दुनियाभर में है।मलेरिया से विश्व में प्रतिवर्ष 50 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं।इसमें से लगभग 20 लाख लोगों की मौत हो जाती है।हालांकि, जरा सी सावधानी बरतें तो इससे बचाव संभव है। अगर मलेरिया हो भी जाए तो घबराएं नहीं, इसका इलाज संभव है।यह बीमारी मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह गरीबों के लिए अभिशाप साबित रहा है।गरीब व्यक्ति मच्छरों के चपेट में जल्द आ जाते हैं। साथ ही उनके इलाज की व्यवस्था भी समुचित नहीं होती, जिससे उनकी मौत हो जाती है।तेज बुखार आना,सर्दी-जुकाम होना,चक्कर आना,सांस फूलना आदि। मादा एनोफिलीज मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो उसके परजीवी शरीर के लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर जाते हैं। वहां पर उनकी संख्या तेजी से बढऩे लगती है, जिससे प्रभावित व्यक्ति के शरीर में तेजी से खून की कमी होने लगती है। इसके अलावा पीडि़त व्यक्ति का बुखार काफी बढ़ जाता है।अगर बीमारी जल्द पकड़ में नहीं आए तो मरीज के लिए जानलेवा साबित होती है।मादा एनोफिलीज मच्छर प्राय: 10 फीट तक की ऊंचाई तक उड़ पाते हैं। इसलिए मच्छर मारने वाली दवाओं का छिड़काव घरों में 10 फीट तक करना चाहिए। बाहरी वातावरण में मच्छर पैदा होने वाले स्थानों पर इसका छिड़काव समय-समय पर जरूर करते रहना चाहिए। मच्छरों पर नियंत्रण से इस बीमारी से बचा जा सकता है।सिविल सर्जन का कहना है कि मच्छरदानी का उपयोग मलेरिया से बचने का सबसे बेहतर उपाय है। इसके अलावा मच्छर भगाने वाली दवाओं का उपयोग भी लाभकारी होता है।साथ ही जल जमाव वाले इलाके में कीटनाशी का छिड़काव होने से मच्छरों पर नियंत्रण स्थापित करने में मदद मिलती है। अगर एक बार मलेरिया की बीमारी हो गई तो उसके लिए लंबे समय तक दवाओं का सेवन करना पड़ता है।