केवल हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कृषि क्षेत्र में 40 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं काम करती हैं और घर के संसाधन जुटाने की जिम्मेदारी भी इन्हीं की है. एक और अच्छा पहलू यह है कि महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा जलवायु परिवर्तन को लेकर ज्यादा सजग हैं. लेकिन इसका एक और छिपा हुआ हिस्सा है. दरअसल अध्ययन बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन और तापमान वृद्धि का सबसे अधिक असर कृषि और पानी पर पड़ता है, जिससे महिलाएं अधिक प्रभावित हो रही हैं. साल 2015 में वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें बताया गया था कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में जलवायु परिवर्तन को लेकर अधिक सजग हैं और पुरुषों की तुलना में आसानी से अपने जीवनचर्या को इसके अनुकूल बना सकती हैं. इसके बाद एक दूसरे अध्ययन में दुनिया भर के तापमान वृद्धि के आर्थिक नुकसान के आकलनों से संबंधित शोध पत्रों के विश्लेषण से यह तथ्य उभर कर सामने आया कि महिला वैज्ञानिक इन आकलनों को अधिक वास्तविक तरीके से पेश करती हैं और अपने आकलन में अनेक ऐसे नुकसान को भी शामिल करती हैं जिन्हें पुरुष वैज्ञानिक नजरअंदाज कर देते हैं या फिर इन नुकसानों को समझ नहीं पाते. अपनी नजर में महिला और पुरूष में से कौन हैं जो पर्यावरण के प्रति ज्यादा सजग हैं? क्या आपको नहीं लगता कि पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी समान रूप से उठानी चाहिए? आप जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण सरंक्षण के लिए अपनी तरफ से क्या योगदान दे रहे हैं? हमारे साथ साझा करें अपने विचार.