नमस्कार आदाब दोस्तों, फरीदाबाद मजदूर समाचार में आपका स्वागत है... दोस्तों, अगर गहराई से सोचे तो ये शेर हमारे मजदूर साथियों के तजुर्बों पर कितना जंचता है... है ना? असल में न जाने कितने ही अच्छे-बुरे तजुर्बों के साथ मेहनतकश मजदूर हर पल जीते हैं. उम्मीद और उत्साह का दामन थामे वो हर दिन सोते,उठते और काम करते हैं, लेकिन इनके बीच ही हिमायती बनकर बैठे कुछ मजदूर लीडर इनके हौसलों को पस्त कर देते हैं. हो सकता है हर मजदूर लीडर ऐसा ना हो... पर कुछ लीडर होते हैं.. जो अपने स्वार्थ और कंपनी के दबाव में मजदूरों के साथ उतना वफादार नहीं हो पाते... अभी अनायास ही एक वाकया याद आ रहा है...जब मजदूरों की बर्खास्तगी को लेकर मारुति सुजुकी मानेसर में मजदूरों ने आंदोलन किया था और इस मुद्दे पर सुजुकी पावरट्रेन मजदूरों ने इनका पूरा साथ दिया था ।आंदोलन अभी परवान चढ़ता उससे पहले ही मजदूर लीडर के धोखे ने पूरा मामला ही पलट कर रख दिया।मारुति सुजुकी कम्पनी के मजदूर लीडरों ने सरकार के दबाव में आकर कंपनी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया।इस पुरे प्रक्रिया में सुजुकी पावरट्रेन लीडर की अनदेखी की गई,क्योंकि ये लीडर किसी के दबाव में नही आए और अपने के मुद्दे पर अड़े रहे। बात यहीं ख़त्म नहीं हुई, बल्कि मारुति सुजुकी के लीडर को कंपनी का साथ देने के लिए इनाम मिला और सुजुकी पावरट्रेन के मजदूरों के हिमायती लीडर को निलंबित कर दिया गया। काश लीडर दबाव में नही आते तो मजदुर भाइयों की आवाज सुनी जाती और उनकी जीत होती। साथियों, जहां अच्छा तुजुर्बा हमें खुशी देता है वहीं बुरा तुजुर्बा बहुत कुछ सीखा देता है। अब आप हमें बताइए...क्या आप के कंपनी में मजदूर लीडर आप की परवाह करते हैं? क्या आपने अपने साथियों के साथ मिलकर अपने हक़ के लिए आवाज उठाया है ? आप के कंपनी में यूनियन लीडर और मजदुर भाइयों के बीच कैसा रिश्ता है ?अपनी बात हम तक पहुँचाने के लिए फ़ोन में दबाए नंबर 3.