कम्पन्यां सैलरी देते वक्त अक्सर ऐसे घोटाले करती रहती हैं, और ये घोटाले अलग-अलग तरीके के होते हैं, जैसे की 3 महीने का वेतन नहीं दिया गया, कभी वेतन रोक लिया जाता है और काम करने केलिए मजबूर किया जाता है, कभी-कभी हस्ताक्षर किसी और राशि पर लिया जाता है और वेतन कुछ और दिया जाता है, ये भी एक घोटाला है. इसके अलावा वेतन में जो घोटाले होते हैं वो यह कि, न्यूनतम वेतन जो सरकार तय करती है उसे कंपनी अपने कर्मचारियों को अपनी श्रमिकों को नहीं देते। तो ये भी एक बड़ा घोटाला है. अब देखिए अनियमितता यह घोटाले होते रहेंगे, जब तक मजदुर इसके खिलाफ आवाज़ नहीं उठता और अगर वे आवाज नहीं उठाते तो ये चलता रहेगा। व्यक्तिगत स्तर पर इस पर अधिक नहीं किया जा सकता, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर बहुत से कानून है और आप कंपनी में जाकर बात करें। वह ना माने तो आप श्रम कार्यालय में इसकी शिकायत करें, दूसरा यह कि आप यूनियन बनाएं नहीं तो यूनियन के साथ जुड़ा, और यूनियनों के साथ जुड़के इन घोटालों के खिलाफ आवाज उठाएं। जिसे आप घोटाला कर रहे हैं दरअसल वह आपका शोषण कर रहे हैं, मजदूरों के एकजुट होकर इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी तभी इसका कुछ समाधान मिल पाएगा।
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कम्पन्यां सैलरी देते वक्त अक्सर ऐसे घोटाले करती रहती हैं, और ये घोटाले अलग-अलग तरीके के होते हैं, जैसे की 3 महीने का वेतन नहीं दिया गया, कभी वेतन रोक लिया जाता है और काम करने केलिए मजबूर किया जाता है, कभी-कभी हस्ताक्षर किसी और राशि पर लिया जाता है और वेतन कुछ और दिया जाता है, ये भी एक घोटाला है. इसके अलावा वेतन में जो घोटाले होते हैं वो यह कि, न्यूनतम वेतन जो सरकार तय करती है उसे कंपनी अपने कर्मचारियों को अपनी श्रमिकों को नहीं देते। तो ये भी एक बड़ा घोटाला है. अब देखिए अनियमितता यह घोटाले होते रहेंगे, जब तक मजदुर इसके खिलाफ आवाज़ नहीं उठता और अगर वे आवाज नहीं उठाते तो ये चलता रहेगा। व्यक्तिगत स्तर पर इस पर अधिक नहीं किया जा सकता, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर बहुत से कानून है और आप कंपनी में जाकर बात करें। वह ना माने तो आप श्रम कार्यालय में इसकी शिकायत करें, दूसरा यह कि आप यूनियन बनाएं नहीं तो यूनियन के साथ जुड़ा, और यूनियनों के साथ जुड़के इन घोटालों के खिलाफ आवाज उठाएं। जिसे आप घोटाला कर रहे हैं दरअसल वह आपका शोषण कर रहे हैं, मजदूरों के एकजुट होकर इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी तभी इसका कुछ समाधान मिल पाएगा।
April 9, 2020, 4:27 p.m. | Tags: wages int-PAJ