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रांची से सरस्वती ने बोले दिल की बात कार्यक्रम के तहत अपनी बात रही है।
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रांची: पारामिता ने झारखंड मोबाइल वाणी पर चल रहे बोले दिल की बात कार्यक्रम के जरिये अपनी दिल की बात रखते हुए कहती है कि वे जब दसवीं कक्षा पास की थी तब अपनी सहेली को लिखी थी पत्र।
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अमृता रांची से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बोले दिल की बात पर अपनी बात रखते हुए याद करते हुए कहती है की गर्मी का दिन आलस से भरा हुआ,नींद से भरी आंखे और उस पर दरवाजे पर दस्तक के साथ डाकिये का आना मन में उमंगो का सैलाब भर देता था चिट्ठी कागज पर उतरी भावनाओ का सैलाब,हमसे दूर बैठे हमारे अपनो की प्यार की खुशबु हुआ करती थी जो हमें अपनों के करीब लाता था.पर अब कहा वो जमाना, तकनीक की दुनिया ने जितना हमें साधनों का सहारा दिया है उतना ही इन अहसासों से दूर कर दिया है.आज हम चिठ्ठी की जगह इन साधनों का मोबाइल,ईमेल और मैसेजेस का सहारा अपनी भावनाओ और बातो के लिए इस्तेमाल करते है इन्होने अपनी अंतिम चिठ्ठी अपने पति को लिखी थी. और कहती है की उसमे लिखे भावनाओ को मेरे लिए शब्दों में बांध पाना आज नामुमकिन है.
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