गिरिडीह से राजेश कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से ये बताना चाहते है कि जिले में गैर आदिवासीयो को वनाधिकार के तहत नही मिला जमीं का पट्टा। कानून में तो सभी जाती और समुदाई के लिए ऐसा प्रावधान है मगर गैर आदिवाशी इसका लाभ नही ले पा रहे है। निर्धारित सरतो को पूरा नही होना इसका कारण बताया जा रहा है।गौरतलब है कि बनाधिकार के तहत जमीं का पट्टा वितरण करने में गिरिडीह सबसे अव्वल है। लेकिन इसका लाभ अभी तक सिर्फ आदिवासी समाज को ही मिल सका है। एक जानकारी के अनुसार 1 अक्टूबर 2013 तक बनाधिकार के तहत बनभूमि का पट्टा वितरण करने को ले कर जिले के कुल 3303 आवेदनो को स्वीकृति दी गयी है। ये सभी आवेदन अनसूचित जनजाति के थे। हलाकि अनसूचित जनजानती के अलावा जिले के अन्य किसी भी जाती द्वारा आवेदन नही दिया गया है। इस मुद्दे पर जिला कल्याण पदाधिकारी का ये कहना है कि 3 पीढ़ी से वन भूमि पर रहने का प्रमाण प्रस्तुत नही कर पाने के कारण दूसरे समुदाई के लोगो को बनभूमि का पट्टा नही दिया जा सका।अगर प्रमाण के साथ दूसरा समुदाई भी दवा करे तो इसका लाभ मिल सकता है।