जिला दुमका से शैलेन्द्र सिन्हा साथ किरण तिवारी जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है की आदिवासी समाज में बेटियो का सम्पति में अधिकार क़ानूनी रूप से नहीं दिया जाता है।यह एक परम्परा माना जाता है।यदि किसी के घर में बेटा नहीं है तो वह सम्पति किसी दूसरे का अधिकार माना जाता है।उस सम्पति बेटी या माँ का हक़ नहीं होता है।अत:क़ानूनी रूप से आदिवासी समाज में भी बेटियो को सम्पति में अधिकार देना चाहिए।