बोकारो: नवाडीह, बोकारो से जे .एम. रंगीला ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से विस्थापन पर कहते हैं कि बोकारो जिला के बेरमो क्षेत्र में कोयला उत्खनन का कार्य ५ के दशक से आरम्भ हुआ है। उस समय यहाँ पर सात कोयला का खादान था। निजी कंपनी करमचंद थापर एंड कंपनी के चिरकुंडा से लेकर भुरकुंडा तक 214 खादान इस कंपनी की थी। यहाँ पर कम्पनी ने कई बड़े लोगो को खदान सौप रखी थी। यही अजः थी यहाँ पर मजदूरों को शोषण हो रहा था। हालाँकि 1971 में राष्ट्रीयकारण होने से मजदूरों में आशा जगी अब उनका शोषण नही होगा। लेकिन ऐसा नही हुआ। इसके बाद तो लोगो के जमीन विभिन्न परियोजनाओं के लिए अधिग्रहण किया गया लेकिन कई लोगो को मुवावजा तो मिली लेकिन नौकरी किसी को नही मिली। नौकरी के आस में लोगो की मृत्यु तक हो गई लेकिन नही मिली। सीटू नेता के अनुसार उचतम न्ययालय के मुताबिक १ डिसमिल जमीन भी खदान में गया है उन्हें नौकरी मिलनी चाहिए। लेकिन ऐसा नही हुआ और न ही किसी को नौकरी मिली अब नतीजा यह है कि लोग देहादी मजदूरी कर जियन निरवहन कर रहे हैं।