ग्राम रजहरा लेस्लीगंज पलामू से राजमणि यादव जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी को बताया पे बंगलौर की पत्रिका के पाठको को बधाई देते हुए झारखण्ड की भौगोलिक स्थिति से अवगत करते हुए जल सरक्षण के उपायों के बारे में बताया. यहाँ की जमीन कहीं समतल तो कहीं ढलाऊँ तो कही की जमीन ऊँची होने के कारण पानी का सरक्षण करने में पारंपरिक विधिय सहायक साबित होती हैं जैसे छोटी छोटी नदियों में चेकडेम पोखर, तालाब बना कर पानी का सरक्षण किया जाता हैं.वैज्ञानिक प्रगति में भी झारखण्ड के लोगो का भी सकारात्मक पहल किया गया हैं बड़े बड़े भवनों के ऊपर से गुजरने वाला पानी को भी सरंक्षित किया जाता हैं और इस जल को परिष्कृत कर प्रयोग में लाया जाता हैं. पेड़ पौधे भी जल सरक्षण में सहायक हैं. झारखण्ड में अधिक कल कारखाने नदियो के किनारे ही लगाये गए हैं जिससे की उनका कचरा नदियों में बहा दिया जाता हैं जिससे नदी का पानी प्रदुषित हो रहा हैं.