चतरा से राजू कुमार ने झारखण्ड मोबाइल वाणी पर महिला सशक्तिकरण पर एक कविता प्रस्तुत की, तीर्थ कर है स्त्री निर्वाण, असंभव नहीं हर पल संभव, बहुत निकट है जीती है स्त्री, अपनी नियति नियति के नहीं नहीं, कुछ नहीं हैं मेरा यहाँ, नहीं कुछ वहा नहीं यह भी नहीं वह भी नहीं, दो पग की बस दुरी है, इस स्त्री की उस निर्वान से एक डोर बंधी है, उस प्रियतम से एक डोर बंधी संतान से.