दुमका:कुंदन कुमार झारखण्ड मोबाइल वाणी पर यह सन्देश दे रहे है कि नारी को भारतीय संस्कृति में माता के पद पर प्रतिष्ठित किया गया है हमारे ग्रंथो में उसे देवी की मान्यता दी गई है नारी शक्ति अभियार्थाना की गर्व है पर चिंता की बात यह है की आज उसे ही उपयोग की वास्तु मान कर बाज़ार में खड़ा कर दिया जाता है जितने अत्याचार,अपमान,शोषण उस पर धाये गए है संभवतः किसी पर भी किसी सदी में नहीं किया गया। इतना होने के बावजूद भी वह ठीक है यह संसार का सबसे बड़ा अस्चर्या है की जब तक नारी को पुनः गौरवमंडित नहीं कर दिया जाता उसे पुनः प्रस्थित कर दिया जाता समुचित न्याय संभव नहीं होगा। आज हर क्षेत्र में नारी आगे बढ़ रही है और बढती रहेगी। उसे अपना खोया आत्मसम्मान को प्राप्त करने में कुछ देरी अवश्य होगी परन्तु संभावनाए बहुत अधिक है।