विनती विश्वकर्मा,कोडरमा से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहना चाहती है की महिला हिंसा अज के तौर में देखा जाए तो सदियों से लेकर आज तक हमारे देश में सरे चीज में अधिकार पुरुषो को दिया जाता है चाहे वह पढाई-लिखाई या फिर खाना-पीना या जमीन-जायजाद सभी में पुरुष के हाथ में होता है फिर चाहे वह पिता,भाई या पति हो जबकि महिलाओ को अपना कोई अधिकार नहीं दिया जाता है और न ही घर होता है और न ही उसके नाम से जमीं जायजात होता है और न ही उसके नाम से सम्पति होता है.इनका सुझाव है की अगर ऐसा कोई कानून बने की जितना अधिकार पुरुष को है उतना ही अधिकार महिला को भी मिले।क्योकि हो सकता है सम्पति के कारण महिलाओ को कदर किया जाए और उसे सम्मान मिलेगा।