जीतेन्द्र भगत दुमका,काठीकुंद से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है की बाल विवाह बढ़ते जा रहे है आज भी.पहले तो लोग मुर्ख थे या अशिक्षित थे.जिससे वे अपने लडकियों की शादी 14 या 12 वर्ष में कर देते थे.पर आज शिक्षा होने के बाद भी लोग अपने बच्चियों की शादी कर उनका हक़ पढने-लिखने का छिन लेते है और उस क्षेत्र में बढ़ने का. जुर्म है बाल विवाह और कई कानून बना कर सरकार ने इस पर रोक लगाने की भी कोशिश की है,पर कानून बना देने से कुछ नहीं होता है जमीनी स्तर पर लागु करना पड़ता है जो की सरकार अब तक नहीं कर पायी है और यह इसी तरह से बढता ही रहा तो इसके घातक परिणाम होंगे।