झारखण्ड राज्य के बोकारो जिले के नावाडीह से निर्मल महतो बता रहे है कि बेरमो कोयलांचल के चंद्रपुरा प्रखंड की तारानारी पंचायत के 38 वर्षीय हीरालाल महतो ,वैज्ञानिक विधि से खेती कर हरित क्रांति को नया आयाम दे रहे हैं । वे अपने गांव आमटोला स्थित तीन एकड़ भूमि में मलचिंग विधि से करेला, कद्दू, गोभी व नेनुवा की उपज कर प्रतिमाह 50 से 60 हजार रुपये आमदनी कमा रहे हैं। ऐसा कर वे क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा के स्नोत बन गए हैं। उनको देख, इस क्षेत्र के अन्य कई किसान भी खेती में मलचिंग विधि को अपना रहे हैं। उनमें राजेश कुमार, दिनेश महतो, राजेश मंडल आदि शामिल हैं।हीरालाल महतो ने दो वर्ष से मलचिंग विधि को अपनाया है। पिछले साल उन्होंने इस विधि से अपने खेत में बैंगन, टमाटर व मिर्च उपजाई थी। इससे पहले ड्रीप एरिगेशन विधि अपनाकर काफी कम पानी से सिंचाई कर अपने खेत को हरी मिर्च की हरियाली बख्शी थी। वे मलचिंग विधि से शीघ्र ही मूली, भिंडी आदि सब्जियां भी उपजाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए उद्यान मित्र आर महतो के दिशा-निर्देश पर वे अपने अन्य खेत को तैयार करने में जुटे हुए हैं। इसके तहत खेत को क्यारीदार बनाकर ड्रीप एरिगेशन के लिए पाइपलाइन लगाकर क्यारियों को प्लास्टिक से ढंककर पौधे रोपने की तैयारी कर हैं। उन्होंने बताया कि इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई करने के बाद शुरुआती दौर में ट्रैक्टर खरीदकर चलाया, लेकिन अधिक लाभ नहीं होने पर खेती करने की ओर अपना रुख मोड़ लिए। हीरालाल सहित तारानारी के अन्य कई किसानों को कृषि विभाग की ओर से वित्तीय वर्ष 2013-14 में 90 प्रतिशत अनुदान पर खेत की सिंचाई के लिए ड्रीप पाइपलाइन की सुविधा उपलब्ध कराई गई। साथ ही मनरेगा की योजना से कूप भी बनवाया गया। इस सरकारी मदद से उक्त किसानों के खेतों में हरियाली आने के साथ-साथ उनके जीवन में खुशहाली भी आ गई। हीरालाल बताते हैं कि मलचिंग विधि से हर तरह की साग-सब्जियों की खेती आसानी से की जा सकती है। अलग-अलग फसलों के लिए बार-बार खेत की जुताई कर तैयारी करने की इस विधि में जरूरत नहीं पड़ती। इस विधि को वैसे किसान अपना सकते हैं, जिनके खेत में ड्रीप एरिगेशन की सुविधा उपलब्ध है।