दुमका,काठीकुंद से अवनीश कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि महिला दिवस एक बार फिर आया और गया। ये दिवस बिलकुल वैसी ही मनाया गया जैसे अन्य त्वोहर मनाया जाता है। मगर ये पूछना चाहते है कि क्या एक दिन महिलाओ को सम्मान दे कर,दुकानों में छुट देकर,मिठाई खिला कर ही उन मानसिकता से निज़ात पाया जा सकता है जो जवानों से महिला पर शोषण करते आ रहे है ? अतः वो ये कहना चाहते है कि सिर्फ एक दिन महिला दिवस मानाने या उस दिन महिला को सम्मान करने से कुछ नही होगा। अगर महिला हिंसा को रोकना ही है तो महिला को हर दिन सम्मान दे और महिलाओ को भी जागरुक होना होगा,हिंसा का विरोध करना होगा वो भी बिना डरे हुए।