झारखंड राज्य के बोकारो जिला से हमारे श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि उनकी पत्नी एक आशा के रूप में कार्य करती हैं। लेकिन उन्हें अबतक कोई सुविधा मुहैया नहीं किया गया है। उनके मानदेय के रूप में केवल दो हजार रूपए प्रतिमाह दिया जाता है जिससे उनका घर परिवार चलता है। कम वेतन मिलने के कारण आशा अपने बच्चो को उचित शिक्षा नहीं दे पाती हैं। अतः निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा देने वाली आशा को न्यूनतम वेतन दिया जाना चाहिए।अपनी मांगों को लेकर बिहार में जिस तरह से आशा कार्यकर्त्ता हड़ताल की हैं वह जायज है।