"सपने तो हमने खूब दिखाए गये थे ओर हम आम आदमियों ने भी खूब हसीन सपने बुने थे पर कितना सच हुआ ओर कितना नही आज एक बार हुमारे लिए पीछे मूड कर देखना भी ज़रूरी है ताकि हम इस से हमारे आसपास हो रहे राजनैतिक क्रिया कलपो को समझ सके.हमने आप से पहले भी इस बारे मे चर्चा की है ओर आप ने भी ढेरो प्रतिक्रियाएँ दे कर हमें आप की ज़िंदेगी ओर समुदाय मे चल राही भावनाओ को समझने का मौका दिया था.पर आज दो साल बाद भी क्या आप की सोच वही कायम है जो दो साल पहले नोटेबंदी को लेकर थी? नोटेबंदी से आप के ज़िंदेगी मे जो भी प्रभाव पड़ा था, क्या वो तत्कालिक था? या फिर इसकी प्रतिक्रिया अभी भी आप के जीवन मे छल रही है? आख़िर नोट बंदी से आप के ज़िंदेगी मे कौन कौन से बदलाव आए?वैसे, क्या आप को पता है, नोटेबंदी के बाद कितने काले धन वापस आए? रिज़र्ब बैंक की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के दौरान 15 लाख 44 हजार करोड़ रुपए के नोट बंद किए गए थे जो के सभी पुराने 500 या हज़ार के थे. उनमें से नोटेबंदी के दौरान15 लाख 31 हजार करोड़ रुपय वापस आए हैं. मतलब सिर्फ 13 हजार करोड़ रुपये ही सिस्टम से बाहर हुआ है. आप सोच रहे होंगे मैने 13 हज़ार करोड़ को ""सिर्फ़"" क्यूँ कहा अब जिस देश मे सरकार अपनी प्रचार प्रसार के लिए सालाना करीब 4 हज़ार क्रोर रुपय खर्चा करती हो ओर जहा 14 हज़ार क्रोर लेकर कोई ब्यापारी देश से फरार हो जाता है वहां 13 हज़ार करोड़ पूरे देश के सिस्टम से बाहर करना कोई ज़्यादा रकम नही लगती है. अगर आरबीआई की इस फाइनल रिपोर्ट को माने तो सवाल यह उठता है कि जब 99.3% पैसा वापस आ गया तो नोटबंदी के ज़रिए पूरे देश को कतार मे खड़ा करने का फायदा क्या हुआ ? उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी के विनाशकारी प्रभाव की ख़बरें पूरे देश से लगातार सुनने को मिली ,उदाहरण के लिए कृषि क्षेत्र में संकट, कारोबार में कमी, फैक्ट्रियों का बंद हो जाना,मजदूरों की छंटनी, मजदूरी का भुगतान नहीं होना जैसी कई ख़बरे लगातार आई।पर हम सब दिल थाम कर एक सुंदर ओर अच्छे भविष्य के चाहत मे इस सभी समास्स्याओं को झेलते चले गये.अब नोटबंदी के इतने दिनों बाद क्या आप के आस-पास इन सभी हालातों में कोई सुधार देखने को मिल रहा है? सरकार ने बढ़चढ़ कर कहा था आप का मोबाइल ही आप का बटुआ है ओर डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत मे भ्रास्तचार को रोकते हुए कैशलेस अर्थव्यवस्था बनाने की भी बात की थी जो की सुनने मे अच्छा था पर व्यवहारिक रूप में हमारा शहर,गांव ,क़स्बा डिजिटल इंडिया की दिशा में कहा तक बढ़ पाया है? क्या आप मोबाइल या इंटरनेट बॅंकिंग का प्रयोग करते है? ओर आप कितने आसानी से पयत्म या फोनेपे जैसे पेमेंट आप का इस्तेमाल कर पाते है?