झारखंड राज्य के बोकारो जिला के जरीडीह प्रखंड से शिवनारायण महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं, कि इस आधुनिक युग में मनुष्य को मिट्टी के गुणों की जानकारी का घोर अभाव है। जिसके कारण आज की नई पीढ़ी मिट्टी के बर्तनों का उपयोग नहीं करना चाहते हैं। पुराने समय में लोग मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाया करते थे और मिट्टी से बने घड़े या सुराही का पानी पिया करते थें। यही कारण है की पुराने समय के लोग स्वस्थ और अधिक जीवन जीते थें। शादी विवाह, जन्म उत्सव, पूजा-पाठ आदि अनेकों प्रकार के कार्यों में मिट्टी से बने बर्तनो का उपयोग करना अति आवश्यक समझा जाता था। इससे पर्यावरण को संतुलित रखने में मदद मिलती थी। यही कारन है कि पहले कुम्हार के दुकानों में खरीदारों की भीड़ लगी रहती थीं मगर आज के समय में लोग मिट्टी के बर्तनों की जगह प्लास्टिक और पॉलथिन का उपयोग कर रहें हैं। दीपावली पर्व में मिट्टी के दिये जलाने की जगह लोग चायनीज एवं विद्युत बल्बों का उपयोग करते हैं। इसका पर्यावरण को छति पहुँचती है। प्लास्टिक और पॉलथिन के उपयोग से लोग कई तरह की बिमारियों के चपेट में आ रहें हैं। मिट्टी के बर्तनों की बिक्री कम होने से कुम्हारों के आगे आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। अतः सरकार द्वारा प्लास्टिक और पॉलथिन के बर्तनो पर प्रतिबन्ध लगाने तथा मिट्टी के गुणों के प्रति मानव समाज में जागरूकता पैदा करने की आवश्यक्ता है