झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के चंद्रपुरा प्रखंड से नरेश महतो जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बारिश का मौसम अपने में ही कुछ खास हैं।इस मौसम में हर तरफ़ हरयाली देखने को मिलती हैं। लोग गर्मी से राहत पाने के लिए बेसब्री से बरसात का इंतज़ार करते हैं। परन्तु जब ये आती हैं तो कई बार अपने साथ मौत की पैग़ाम भी लेकर आती है। इस मौसम में व्रजपात की घटनाएं अधिक होती हैं। इससे मरने वालो की संख्या भी बहुत है।सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य भर में व्रजपात से एक न एक मौत जरूर होती हैं।हालांकि इससे बचाव के लिए सरकार घनी आबादी वाले जगहों पर स्थित ऊँची-ऊँची भवनों पर तड़ित चालक यंत्र लगा कर रखी थी लेकिन सही देखरेख न होने के कारण अब ये यंत्र ग़ायब कर लिए गए हैं।बज्रपात से बचाव के उपाए साझा करते हुए कहते हैं कि ग्रामीण इलाको में व्रजपात की चपेट में आये व्यक्ति को गोबर की ढेर में गर्दन से नीचे हिस्से को ढ़ाका जाता है।अपनी राय साँझा करते हुए नरेश जी ने कहा कि बरसात में गर्जन के दौरान अगर घर से बाहर हो,तो पेड़ों के नीचे आश्रय लेने के बजाय जमीन में दोनों एड़ी को सटा कर बैठ जाए और दोनों अँगूठो से कान को बंद कर ले। व्रजपात से बचाव में यह कारगार साबित होती हैं।