झारखण्ड राज्य के तेनुघाट प्रखंड से सुषमा कुमारी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है की स्वतंत्र भारत से पूर्व और स्वतंत्र भारत के पश्चात एक लम्बी अवधि व्यतीत होने के बाद भी भारतीय किसानों की दशा में सिर्फ 19-20 का ही अंतर दिखाई देता है। बढ़ती आबादी, औद्योगीकरण एवं नगरीकरण के कारण कृषि योग्य क्षेत्रफल में निरंतर गिरावट आई है।जिस देश में 1.25 अरब के लगभग आबादी निवास करती है और देश की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर आधारित है ,वहां पर किसान के पास खेती के लिए सिंचाई की अच्छी व्यवस्था तथा कृषि यन्त्र मौजूद नहीं होती है,जिससे किसान बेहतर तरीके से खेती नहीं कर पातें हैं।इस कारण किसान कम समय में अधिक खेती की लालश लेकर कीटनाशक दवाई अथवा रासायनिक खाद का प्रयोग करतें हैं।लेकिन किसान भाई को लाभ कम नुकशान अधिक उठाना पड़ता है जिससे उपजाऊ युक्त भूमि बंजर पड़ जाता है और फसल की उपज भी कम होती है। साथ ही रासायनिक खाद से उपज किया हुआ खाने योग्य पदार्थ से कई गंभीर बीमारियाँ और उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। अतः सरकार को किसानों कि ओर ध्यान देते हुए उन्हें कम दर पर बीज, गुणवत्तपूर्ण खाद और सिंचाई की अच्छी व्यावस्थ देकर उन्हें सहायत प्रदन करनी चाहिए ताकि उनकी खेती की पैदावार छमता को बढ़ाया जा सके।