सामान्य जीवन जीने के लिए कई तरह की जरूरते होती है, जिसे पूरा करने के लिए हमे काम करने की आवश्यकता होती है।पर एक सामान काम करने पर भी पुरुष और महिला कामगारों के बीच मजदूरी भुगतान में असमानता, इस शब्द को सुनकर कितना अजीब लगता है। पर आज भी हमारे समाज में ये प्रथा देखने को मिलती है जहाँ सिर्फ महिला होने के नाते मजदूरी भुगतान में अंतर किया जाता है। आप हमे बताएं कि इस तरह से मजदूरी भूगतान में असामनता होने से महिला कामगारों और उनके परिवार की रोजमर्रा की जिंगदी किस तरह से प्रभावित होता है और खास उन महिला कामगारों को किस तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है , जिनके घर में कोई पुरुष सदस्य नहीं होते हैं और घर का सारा जिम्मेदारी महिला मजदुर के कंधे पर होता है ? आपके क्षेत्र में पुरुष और महिला कामगारों के बीच मजदूरी भुगतान की वर्तमान स्थिति क्या है ? और क्या आपके गांव पंचायत में भी ऐसी कोई घटना घटी है जहाँ पर महिला होने के नाम पर मजदूरी भुगतान कम की गई हो ? दोस्तों , आप हमे ये भी बताएं कि ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी भूगतान को एक सामान करने में स्थानीय जनप्रतिधियों की क्या भूमिका होनी चाहिए, जिससे असमान मजदूरी भुगतान को खत्म हो सके ?