झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के नावाडीह प्रखंड से सुमन्त कुमार ने झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि जल के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।आज बहुत सारे ऐसे गाँव हैं , जहां के लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं होता।सरकार की तरफ से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में कई कल्याणकारी योजनायें चलायी जा रही है।लेकिन इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों के स्थानीय जन प्रतिनिधि रूचि नहीं दिखा रहे है।और इसका खामियाजा आम ग्रामीण जनता को भुगतना पड़ रहा है।वे कहते हैं कि इसके लिए सभी को आगे आना होगा।एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब सात फीसदी बिमारियों की मूल वजह जल प्रदूषण है।साथ ही उन्होंने पानी की ख़राब गुणवत्ता से निपटने के लिए कहा कि पानी को शुद्ध करने का सबसे पुराना तरीका है पानी को उबालना, और दुनियाभर के लाखो लोग इस तरीके को अपनाते भी है। पानी को पूरी तरह से स्वच्छ और कीटाणु रहित बनाने के लिए कम-से-कम पानी को बीस मिनट तक उबालना चाहिए।और उबाल कर पानी को साफ़ कंटेनर में रखना चाहिए। कंटेनर का मुँह संकरा हो ताकि उसमे किसी प्रकार की गंदगी ना जाने पाए