झारखण्ड राज्य के बोकारो जिले से सुमंत कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां की ज्यादातर जनसँख्या मुख्यतः कृषि कार्य से जुड़े हुए हैं। भारत में गांवों के विकास का आधार मुख्यतः कृषि ही है। क्योंकि कृषि के बिना विकास सम्भव नहीं है। भारत आजाद होने के साथ ही बेरोजगारी को समूल रूप से समाप्त करने के प्रयास जुटी और इसके लिए सरकार ने पंचवर्षीय योजना को प्रारम्भ किया। लेकिन सरकार विकास के स्तर तक नहीं पहुंच सकी। इस विफलता का मुख्य कारण यह है कि सरकार के कथनी और करनी में काफी अंतर् हैं। जैसा की सभी जानते हैं कि भारत में ग्रामीण जनता रहती है। गांव के विकास के बिना शहरों की निर्माण की कल्पना नहीं की जा सकती क्योंकि केवल सरकारी नौकरी,उधोग, व्यपार से भारत उन्नति नहीं कर सकता है। वे कहते हैं कि लोगों की भूख केवल पैसे से नहीं मिटती बल्कि इसके लिए खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है, जो मूलतः गांवों में ही मिलती है। सरकार ने गांवों के विकास हेतु जो योजनाएं चलाई वो केवल कागजों पर ही सिमट कर रह गई है। जिसका प्रमाण पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गाँधी के भाषण से ज्ञात होता है कि गांव के विकास हेतु सरकार एक रूपए उपलब्ध कराती है , तो उनमें से केवल पांच पैसे ही जनता तक पहुंच पाती है। इस प्रकार से ना तो सरकार गांव का विकास कर सकती है और ना ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधा एवं चिकित्सा सुविधा प्रदान कर सकती है