बहुसांस्कृतिक समाज के निर्माण में युवाओं की भूमिका " के सम्बन्ध में ... श्रोताओं,भारत एक बहुधर्मी और बहुसंस्कृति का देश है। यहां के लोग हर महीने किसी न किसी त्यौहार के रंग में रंगे नज़र आते हैं। यहां हर त्यौहार का अपना महत्वपूर्ण इतिहास, रीति रिवाज और अलग अंदाज होता है। और इन सब में कुछ आम होता है, तो वह होता है उल्लास।देश में सदियों से चली आ रही बहु संस्कृति, संयम और भाईचारे की समृद्ध विरासत को संरक्षित रखना आज एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है।इसलिए हम अपनी समृद्ध विरासत और बहु संस्कृति को संरक्षित रखें और इसे आगे बढायें।यह हमारे समाज के युवाओं की जिम्मेदारी है कि वे देश की संस्कृति में समाहित संयम और भाईचारे की विरासत में योगदान करें और उसे आगे बढायें। किसी भी देश और समाज की रीढ़ वहां की युवा शक्ति होती है। युवा देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं। युवा देश का वर्तमान हैं, तो भूतकाल और भविष्य के सेतु भी हैं। युवा देश और समाज के जीवन मूल्यों के प्रतीक हैं।समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान युवाओं का ही होता है। श्रोताओं आप हमे बताये कि बहुसांस्कृतिक समाज के निर्माण में युवाओं की क्या भूमिका होनी चाहिए ? बहु संस्कृति समाज और भाईचारे को सदैव बनाये रखने के लिए युवा शक्ति क्या कर रहे है और आगे भी उन्हें क्या-क्या करने की आवश्यकता है? आज हमारे देश की ४० % से ज्यादा युवा शक्ति को सरकार को और समाज को किस प्रकार से इस्तेमाल करनी चाहिए ? हम आपसे जानना चाहते है कि एक बेहतरीन बहुसंस्कृति समाज का निर्माण किस तरह से हो सकता है?