झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला से मदन लाल चौहान जी मोबाइल वाणी के माध्यम से असुरक्षित पलायन के बारे में अपने विचार हमारे साथ साझा करते हुए बता रहे हैं कि जीवनयापन के लिए बेहद जरुरी है,अच्छी आय और अच्छी आय के लिए आवश्यक है,अच्छा रोजगार जब आर्थिक हालत अच्छे होंगे,तब ही लोग अपने परिवार का भरण-पोषण सही तरीके से कर सकते हैं।राज्य सरकार ने बहुत बड़ी-बड़ी बातें की मजदूरों को अपने ही क्षेत्र में रोजगार दिलाने की परन्तु सरकार की ये बातें सिर्फ बड़े-बड़े होर्डिंगस और बैनर तक ही सिमट कर रह गयी।सरकार हर एक परिवार को रोजगार प्रदान करने में पूर्ण रूप से असमर्थ दिख रही है।जिसका परिणाम यह है की मजदुर वर्ग जीविकोपार्जन के लिए दूसरे शहरों में पलायन कर रहे हैं।जिसका भयावह दुष्परिणाम मजदुर वर्ग के परिजनों और खुद मजदूरों को उठाना पड़ रहा है।रोजगार की तलाश में ये मजदुर इतने विवश और असहाय हो जाते हैं,की फर्जी दलाल लोंगो के जाल में फँस जाते हैं।ये दलाल इन्हे रोजगार का लालच दे कर अपने साथ ले जाते हैं,और गैर निबंधित कम्पनियों से मोटी रकम ले कर इन मजदूरों को बेच देते हैं। गैर निबंधित कम्पनियाँ इन मजदूरों को कैद कर एक कमरे में रखते हैं,और उनसे काम करवाते हैं।मजदूरों का मानसिक,शारीरिक एवं आर्थिक रूप से भी शोषण करते हैं।जब इन मजदूरों को अपना भविष्य अंधकारमय नजर आता है,तो कई मजदुर निराश हो कर आत्महत्या तक कर लेते हैं।उधर पलायनकर्ता के परिजन उनका बांट जोहते रहते हैं,कभी एटीएम में जा कर पैसे देखते हैं,तो कभी पोस्टमैन और मनीऑर्डर का इंतज़ार करते रहते हैं।कई लोग तो वहीं जा कर अपने परिवार के साथ बस जाते हैं।उनके माता-पिता यहाँ अकेले रह जाते हैं,वो अपने बच्चों की राह देखते-देखते थक जाते हैं,और थक कर खुद भिक्षायटन कर अपना जीवन बिताने को मजबूर हो जाते हैं।सरकार को इस समस्या का समाधान निकालने के लिए अपने ही राज्य के जिले एवं प्रखंडो में निबंधन कार्यालय खुलवाना चाहिए।जिससे आतंरिक पलायन में कमी आती।इसके साथ ही एनजीओ की सहायता से पलायन को रोकने के लिए कानूनी जागरूकता भी समाज में प्रसारित करने की आवश्यकता है।